छत्तीसगढ़ में 22 आबकारी अफसरों की एक साथ सस्पेंशन, भ्रष्टाचार पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई

रायपुर, 11 जुलाई 2025 — छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में शुक्रवार को बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में 3200 करोड़ रुपये के बहुचर्चित शराब घोटाले में 22 आबकारी अधिकारियों को एक साथ सस्पेंड कर दिया गया। इस कार्रवाई को आजाद भारत के इतिहास में भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ी प्रशासनिक सर्जरी माना जा रहा है।

यह कदम उस समय उठाया गया जब आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि शराब लाइसेंस जारी करने और अवैध शराब बिक्री में अफसरों की मिलीभगत से सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ। साथ ही अफसरों ने कथित तौर पर 80–88 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की।


क्लीन गवर्नेंस की दिशा में निर्णायक कदम

मुख्यमंत्री साय ने सस्पेंशन आदेश के साथ यह स्पष्ट संदेश दिया कि भ्रष्टाचार अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका कहना है कि “कोई भी अधिकारी कितना भी वरिष्ठ क्यों न हो, अगर उसने जनता के विश्वास के साथ धोखा किया है तो वह कानून से नहीं बच सकता।”

सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अब सिर्फ नारा नहीं, बल्कि धरातल पर लागू होती दिखाई दे रही है। ई-ऑफिस, मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल, और विभागीय ऐप्स के माध्यम से कामकाज पारदर्शी और डिजिटल बनाया गया है।


देशभर के लिए बन सकता है मॉडल

इस कार्रवाई से यह संकेत मिलता है कि छत्तीसगढ़ अब संस्थागत सुधारों की दिशा में गंभीर है। फ्लाइंग स्क्वॉड की मदद से अन्य जिलों में भी अवैध शराब तस्करी के मामलों में कार्रवाई हुई है। बलौदाबाजार, महासमुंद और राजनांदगांव में छह वरिष्ठ अफसरों को कारण बताओ नोटिस और कुछ सर्कल अफसरों को निलंबित किया गया।


राजनीतिक गलियारों में गर्माहट

जहां सरकार इसे ईमानदारी की नीति बता रही है, वहीं विपक्ष इसे पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के खिलाफ लक्षित कार्रवाई कह रहा है। लेकिन जनता के बीच यह संदेश गया है कि अब भ्रष्टाचार पर न सिर्फ नजर रखी जा रही है, बल्कि जवाबदेही तय करने की नई परंपरा शुरू हो रही है।