बिहार में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, ADR और अन्य याचिकाकर्ताओं ने उठाए गंभीर सवाल

नई दिल्ली, 10 जुलाई 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) करने के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है।

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।

“एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR)”, महुआ मोइत्रा, मनोज झा, और योगेन्द्र यादव सहित कई प्रमुख नेताओं और संगठनों ने याचिका दायर की है। इनका कहना है कि ECI का 24 जून का निर्देश संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326 का उल्लंघन करता है और यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टर्स रूल्स, 1960 के प्रावधानों के भी खिलाफ है।

मुख्य आपत्तियां:

  • नई दस्तावेजी शर्तें आम मतदाताओं पर अतिरिक्त बोझ डालती हैं।
  • 2003 की मतदाता सूची में शामिल न होने वाले लोगों को नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज देने होंगे।
  • 2004 के बाद जन्मे मतदाताओं को खुद के साथ माता-पिता के दस्तावेज भी देने होंगे।
  • विदेशी नागरिक माता-पिता के मामले में पासपोर्ट और वीज़ा की मांग की गई है।
  • राशन कार्ड और आधार जैसे दस्तावेज को अमान्य मानना गरीब और ग्रामीण मतदाताओं के लिए चिंता का विषय है।

ADR का दावा है कि इससे बिहार के तीन करोड़ से अधिक मतदाता प्रभावित हो सकते हैं, जो जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे।

याचिकाकर्ताओं का यह भी आरोप है कि निर्वाचन आयोग ने विशेष पुनरीक्षण का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है, जबकि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 21(3) के अनुसार, ऐसी प्रक्रिया केवल ठोस कारणों के आधार पर ही की जा सकती है।