छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण मामलों में बढ़ोतरी, सरकार लाएगी धर्म स्वातंत्र्य संशोधन विधेयक

रायपुर, 9 जुलाई 2025 – छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। पिछले 5 वर्षों में 23 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें अधिकांश घटनाएं बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी बहुल ग्रामीण क्षेत्रों से सामने आई हैं। राज्य सरकार अब धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए धर्म स्वातंत्र्य संशोधन विधेयक लाने की तैयारी कर रही है।

राज्य के डिप्टी सीएम व गृहमंत्री विजय शर्मा ने मार्च 2025 के विधानसभा सत्र में जानकारी दी थी कि:

  • 2020 में 1 मामला,
  • 2021 में 7 मामले,
  • 2022 में 3 मामले,
  • 2023 में कोई मामला नहीं,
  • 2024 में 12 मामले,
  • और 2025 में अब तक 4 मामले दर्ज किए गए हैं।

वर्तमान में राज्य में धर्मांतरण पर कोई विशेष कानून नहीं है। यही कारण है कि सरकार अब लगभग 10 राज्यों के मौजूदा कानूनों का अध्ययन कर नया विधेयक तैयार कर रही है, जिससे इस तरह की गतिविधियों पर प्रभावी रोक लगाई जा सके।

धर्मांतरण का तरीका:

सूत्रों के अनुसार, चंगाई सभा और धार्मिक आयोजन की आड़ में गरीब, असहाय और भोले-भाले ग्रामीणों को स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक मदद का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इस प्रक्रिया में गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) की संलिप्तता सामने आई है, जिन्हें गुप्त रूप से विदेशी फंडिंग मिल रही है।

वर्तमान में राज्य में 153 एनजीओ विदेशी फंड के माध्यम से संचालित हो रहे हैं। पहले यह संख्या 364 थी, लेकिन 2020 में अधिनियम में संशोधन के बाद 84 एनजीओ प्रतिबंधित किए गए और 127 स्वतः बंद हो गए। बस्तर जिले में 19 में से 9 और जशपुर में 18 में से 15 एनजीओ ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित बताए जा रहे हैं।

सरकार की तैयारी:

गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा, “धर्मांतरण की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस-प्रशासन गंभीरता से काम कर रहा है। जल्द ही एक सख्त कानून लाया जाएगा जो इस तरह की गतिविधियों पर लगाम लगाएगा।

यह विधेयक राज्य की आदिवासी संस्कृति और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अब सभी की निगाहें आगामी विधानसभा सत्र पर हैं, जहां यह विधेयक पेश किया जा सकता है।