जासूसी आरोपों में घिरी यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को लेकर केरल सरकार ने दी सफाई, BJP-CPI में आरोप-प्रत्यारोप तेज

नई दिल्ली, 8 जुलाई 2025 — केरल के पर्यटन मंत्री मोहम्मद रियास ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि राज्य सरकार का यूट्यूबर और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ज्योति मल्होत्रा के चयन में कोई रोल नहीं था। मल्होत्रा को मई में पाकिस्तान के लिए जासूसी के संदेह में गिरफ्तार किया गया था।

मंत्री मोहम्मद रियास ने कहा, “ज्योति मल्होत्रा को जिस एजेंसी ने आमंत्रित किया था, वह राज्य सरकार से स्वतंत्र रूप से काम करती है। यह आमंत्रण उस समय भेजा गया था जब उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं था।”

BJP के आरोप और RTI का हवाला

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने एक आरटीआई का हवाला देते हुए दावा किया कि ज्योति मल्होत्रा को राज्य सरकार के आमंत्रण पर केरल बुलाया गया था। उन्होंने कहा, “भारत माता को ब्लॉक और पाकिस्तान की जासूस को रेड कार्पेट स्वागत? ये है वामपंथ की नीति।”

CPI ने BJP के आरोपों को बताया “राजनीतिक साजिश”

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) के सांसद पी. संतोश कुमार ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह “राष्ट्रीय सुरक्षा पर भाजपा की विफलताओं से ध्यान भटकाने का प्रयास” है।

उन्होंने सवाल किया, “क्या केरल सरकार ने उसे पाकिस्तान जाने की अनुमति दी थी? क्या दिल्ली में उसे आईएसआई एजेंट से मिलवाया गया? ये आरोप निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं।”

कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि BJP के भीतर भी कई सदस्य जासूसी और आतंक से जुड़े मामलों में संलिप्त रहे हैं, और केंद्र सरकार की खुफिया तंत्र की विफलता पर सवाल खड़े किए।

कौन हैं ज्योति मल्होत्रा?

हिसार (हरियाणा) की रहने वाली यूट्यूबर ज्योति मल्होत्राTravel with JO’ नामक चैनल चलाती थीं। उन्हें 16 मई को हिसार पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन पर ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

जांच के अनुसार, मल्होत्रा नवंबर 2023 से पाकिस्तानी उच्चायोग के एक कर्मचारी एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश के संपर्क में थीं, जिसे भारत सरकार ने 13 मई को देश से निष्कासित कर दिया था। पुलिस का दावा है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां उन्हें “एसेट” के रूप में विकसित कर रही थीं।

हालांकि पुलिस को अब तक कोई सैन्य या रक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारी उनके पास से नहीं मिली है, लेकिन उनके पाक एजेंटों से संपर्क की पुष्टि हुई है।

निष्कर्ष

इस पूरे मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है, जहां एक ओर भाजपा केरल सरकार पर निशाना साध रही है, वहीं वामपंथी दल इसे केंद्र की खुफिया विफलता बता रहे हैं। असल सवाल यह है कि इस प्रकार की गतिविधियों को समय रहते रोका क्यों नहीं गया, और क्या सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स की स्क्रीनिंग अब ज़रूरी हो गई है?