छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इनकम टैक्स विभाग की अपील खारिज की, ₹2 करोड़ से कम टैक्स मामलों में नहीं होगी सुनवाई

बिलासपुर (छत्तीसगढ़): छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इनकम टैक्स विभाग द्वारा दाखिल एक अपील को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। कोर्ट ने कहा कि चूंकि मामला केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) की नई सीमा के अंतर्गत आता है, जिसमें ₹2 करोड़ से कम के टैक्स प्रभाव वाले मामलों में हाईकोर्ट में अपील दाखिल नहीं की जा सकती, इसलिए यह अपील विचारणीय नहीं है।

यह अपील आयकर विभाग के उप-आयुक्त (Deputy Commissioner of Income Tax) द्वारा की गई थी, जो कि आशा सोनी नामक करदाता के पक्ष में पारित एक निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी। लेकिन जब यह मामला कोर्ट में सुनवाई के लिए आया, तो विभाग के वकील ने स्वयं स्वीकार किया कि संबंधित टैक्स मांग ₹2 करोड़ से कम है।

कोर्ट ने मामले के गुण-दोषों में नहीं गया

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यह माना कि विभाग की यह याचिका CBDT के 17 सितंबर 2024 को जारी परिपत्र के अनुसार, विचारणीय नहीं है। बेंच ने यह भी कहा कि यह CBDT के विवाद प्रबंधन रणनीति (litigation management strategy) के अनुरूप है, जो कम टैक्स प्रभाव वाले मामलों में अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचने की नीति पर आधारित है।

CBDT सर्कुलर का हवाला

विभाग ने अदालत के समक्ष CBDT सर्कुलर संख्या 5/2024 दिनांक 15 मार्च 2024, जिसे 17 सितंबर 2024 को संशोधित किया गया था, का हवाला देते हुए अपील वापस लेने की अनुमति मांगी। सर्कुलर में कहा गया है कि हाईकोर्ट में अपील केवल उन्हीं मामलों में की जाए जहां टैक्स प्रभाव ₹2 करोड़ या उससे अधिक हो। सर्कुलर में यह भी उल्लेख है कि अपील की योग्यता केवल टैक्स की राशि के आधार पर तय न हो, बल्कि उसके विधिक आधार और संभावित प्रभाव को भी ध्यान में रखा जाए।

न्यायिक समय की बचत और मुकदमेबाजी में कमी

कोर्ट ने विभाग के इस निर्णय को “तर्कसंगत और उचित” बताते हुए अपील को बिना गुण-दोष में गए ही निस्तारित (disposed of) कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की अपीलें वापस लेने से न्यायिक समय की बचत होगी और अनावश्यक मुकदमेबाजी से भी छुटकारा मिलेगा।

बड़ी नीति का हिस्सा

यह निर्णय CBDT की उस व्यापक नीति के अनुरूप है जिसके तहत न्यायिक प्रणाली पर दबाव कम करने और अधिकारियों को अधिक मूल्य वाले एवं कानूनी रूप से जटिल मामलों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यह कदम अपेक्षाकृत छोटे मामलों को अपीलीय मंचों से दूर रखने और पुराने लंबित मामलों की संख्या कम करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है।