छत्तीसगढ़ शराब बिक्री घोटाला: ईओडब्ल्यू ने 29 आरोपियों के खिलाफ चौथा पूरक आरोपपत्र दाखिल किया

रायपुर, 8 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित अवैध शराब बिक्री घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो (ACB) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए रायपुर की विशेष अदालत में चौथा पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है। इस आरोपपत्र में 29 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं।

ईओडब्ल्यू द्वारा जारी बयान के अनुसार, यह आरोपपत्र 2019 से 2023 तक की जांच के दौरान एकत्रित डिजिटल साक्ष्य, वित्तीय रिकॉर्ड और 200 से अधिक गवाहों के बयान के आधार पर तैयार किया गया है। यह मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत दर्ज किया गया था।

कैसे हुआ घोटाला?

जांच एजेंसी ने खुलासा किया कि राज्य में संचालित देशी शराब दुकानों के माध्यम से अवैध रूप से बनाई गई और कर चोरी करके बेची गई शराब, सरकार द्वारा अधिकृत शराब के समानांतर बेची जा रही थी। इस अवैध शराब को आंतरिक रूप से “बी-पार्ट” कहा जाता था।

डिस्टिलरियों को अतिरिक्त मात्रा में शराब बनाने और इसे सीधे उन दुकानों पर भेजने का निर्देश दिया गया, जहां बिक्री अधिक थी। इस प्रक्रिया में सरकारी गोदामों और आवश्यक एक्साइज ड्यूटी की अनदेखी की गई।

इस अवैध बिक्री से प्राप्त राजस्व को अलग से एकत्रित किया गया और एक सुसंगठित तंत्र के माध्यम से शराब माफिया तक पहुंचाया गया। इसमें आबकारी अधिकारियों, दुकान प्रबंधकों, एजेंटों, सिपाहियों, सुरक्षा कर्मियों और मनी कूरियरों की भूमिका अहम थी।

आरोपियों की सूची में बड़े नाम

ईओडब्ल्यू द्वारा दाखिल चौथे पूरक आरोपपत्र में कई प्रभावशाली नाम शामिल हैं, जिनमें से कुछ अब भी सेवामें हैं:

  • जनार्दन कौरा
  • अनिमेष नेताम
  • विजय सेन शर्मा
  • अरविंद पाटले

इसके अलावा पहले से गिरफ्तार किए गए अन्य प्रमुख आरोपियों में शामिल हैं:

  • पूर्व मंत्री कवासी लखमा
  • पूर्व आबकारी आयुक्त अरुणपति त्रिपाठी
  • नौकरशाह अनिल टुटेजा
  • व्यवसायी अनवर ढेबर
  • शराब कारोबारी विजय भाटिया

ईओडब्ल्यू के अनुसार, इस अवैध नेटवर्क के माध्यम से कुल 60,50,950 बॉक्स देशी शराब की बिक्री की गई, जिसकी अनुमानित कीमत ₹2,174 करोड़ है।

आगे और गिरफ्तारियां संभावित

एजेंसी ने संकेत दिया है कि जांच अभी जारी है और डिजिटल व वित्तीय लेन-देन की परतें खुलने के बाद और भी गिरफ्तारियां तथा खुलासे हो सकते हैं। ईओडब्ल्यू ने इस मामले को राज्य के इतिहास का सबसे बड़ा और संगठित भ्रष्टाचार नेटवर्क बताया है।