EMI का जाल बन रहा है भारत के मध्यम वर्ग के लिए सबसे बड़ा खतरा, नहीं बच रही आमदनी, बढ़ रहा कर्ज

नई दिल्ली, 07 जुलाई 2025:
भारत का मध्यम वर्ग आज महंगाई और टैक्स से ही नहीं, बल्कि एक और खतरनाक आर्थिक संकट से जूझ रहा है — EMI (Equated Monthly Instalments) यानी मासिक किस्तों के जाल से। यह कहना है वित्त विशेषज्ञ तपस चक्रवर्ती का, जिन्होंने अपने वायरल LinkedIn पोस्ट में इसे भारत के मध्यवर्ग के लिए “सबसे बड़ा फाइनेंशियल ट्रैप” बताया है।

“कमाओ, उधार लो, चुकाओ और फिर दोहराओ” — यही बन गया है जीवन चक्र

तपस चक्रवर्ती लिखते हैं,
“सबसे बड़ा जाल क्या है? महंगाई नहीं, टैक्स नहीं — EMIs हैं।”
उन्होंने इसे इस तरह समझाया:
“Earn, Borrow, Repay, Repeat — No Savings, Swipe Again”
यानी कमाई, उधारी, किस्त, दोहराव — बचत नहीं, फिर से खर्च।

EMI से बनी जीवनशैली, बचत नहीं – कर्ज ही कर्ज

पहले जहां EMI सुविधा मानी जाती थी, अब यह लाइफस्टाइल बन गई है। स्मार्टफोन, फ्रिज, फ्लाइट टिकट, फर्नीचर यहां तक कि किराने का सामान भी EMI पर।
“अब कुछ भी खरीदो — कार्ड स्वाइप करो, घर लाओ और किस्त भरो,” यही बन चुका है जीवन का हिस्सा। लेकिन इसी प्रक्रिया ने धीरे-धीरे लाखों परिवारों को ऋण (debt) के दलदल में धकेल दिया है।

तेजी से बढ़ता घरेलू कर्ज — आंकड़े डरावने हैं

  • भारत का घरेलू कर्ज अब GDP का 42% तक पहुंच गया है।
  • इसमें से 32% हिस्सा क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन और ‘Buy Now Pay Later’ स्कीम्स से है।
  • भारत में बिकने वाले 70% iPhones EMI पर खरीदे जाते हैं।
  • 11% छोटे कर्जदार पहले ही डिफॉल्ट कर चुके हैं।
  • बहुत से लोग एक समय में 3 या उससे अधिक लोन चला रहे हैं।

छोटे-छोटे भुगतान, बड़ा बोझ

एक फोन की EMI ₹2,400, लैपटॉप की ₹3,000, बाइक की ₹4,000, क्रेडिट कार्ड बिल ₹6,500 — यानी सिर्फ EMI में ही ₹25,000 प्रतिमाह की आमदनी चली जाती है।
ना बचत, ना आपात स्थिति के लिए फंड — एक हेल्थ इमरजेंसी और सब कुछ टूट सकता है,” चक्रवर्ती ने चेताया।

इसका असर सिर्फ परिवारों तक नहीं, अर्थव्यवस्था पर भी

कम बचत का मतलब कम निवेश।
अधिक कर्ज का मतलब अधिक डिफॉल्ट का खतरा।
लगातार वित्तीय तनाव से काम की गुणवत्ता गिरती है, उत्पादकता घटती है और देश की आर्थिक प्रगति रुकती है।

“मध्यवर्ग अगर दबता है, तो देश धीमा होता है। यह सिर्फ एक परिवार की समस्या नहीं — सभी पर असर डालता है,” चक्रवर्ती ने लिखा।


समाधान क्या है?

तपस चक्रवर्ती ने इस संकट से उबरने के लिए कुछ सुझाव दिए:

  • EMI का कुल भार आपकी आय के 40% से अधिक न हो।
  • हर महीने ₹500 से भी सुरक्षा फंड (emergency fund) की शुरुआत करें।
  • दिखावे के लिए कर्ज न लें।
  • SIP से छोटी-छोटी बचत की आदत डालें।

“कम उधार, ज्यादा आजादी”

अपने पोस्ट के अंत में उन्होंने कहा:
“तनाव में जीना सामान्य नहीं है। जो चीज़ें आपकी नहीं, उन्हें दिखावा करना सफलता नहीं है। बेहतर जीवन का सपना कर्ज का जाल नहीं बनना चाहिए। असली आज़ादी कमाने में नहीं, कम उधार लेने में है।”