दुर्ग में ‘स्तंभशाला’ का शुभारंभ: निपुण भारत मिशन की चौथी वर्षगांठ पर शिक्षा की नई पहल

दुर्ग, 07 जुलाई 2025/
भारत सरकार के निपुण भारत मिशन की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर, स्टारलाइट फाउंडेशन ने छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के शासकीय प्राथमिक विद्यालय, बोरिगारका में अपनी पहली ‘स्तंभशाला’ का उद्घाटन किया। यह पहल ग्रामीण भारत में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण, सुलभ और आनंददायक प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम मानी जा रही है।

क्या है ‘स्तंभशाला’?

‘स्तंभशाला’ एक विशेष रूप से डिज़ाइन की गई कक्षा है, जो कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों के लिए फाउंडेशनल लिट्रेसी एंड न्यूमेरसी (FLN) क्षमताओं को विकसित करने हेतु तैयार की गई है। इस कक्षा को अत्याधुनिक तकनीकों एवं शैक्षिक संसाधनों से सज्जित किया गया है:

  • स्मार्ट एलईडी टीवी द्वारा ऑडियो-विजुअल शिक्षण
  • चित्रात्मक पुस्तकें, चार्ट्स, कार्यपुस्तिकाएं
  • फन लर्निंग किट और शैक्षिक खिलौने
  • सीखने को खेल और अनुभव आधारित बनाने पर जोर

कार्यक्रम की गरिमामयी उपस्थिति

इस भव्य आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में श्री नंदलाल चौधरी (संयुक्त संचालक, महिला एवं बाल विकास विभाग) उपस्थित रहे। उनके साथ श्रीमती श्रद्धा साहू (सभापति, जिला पंचायत, दुर्ग), जनपद उपाध्यक्ष श्री राकेश हिरवानी, ग्राम सरपंच श्री चुम्मन यादव, संकुल प्राचार्य श्री जांगड़े, स्थानीय जनप्रतिनिधि, अधिकारी, ग्रामीण और विद्यार्थी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

मुख्य अतिथि ने कहा, “स्तंभशाला जैसी पहलें बुनियादी शिक्षा को सशक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर हैं। वर्ष 2026 तक हर बच्चा पढ़ने-लिखने और गणना में दक्ष हो, यही निपुण भारत मिशन का लक्ष्य है।”

स्टारलाइट फाउंडेशन का विज़न

संस्था के अध्यक्ष श्री प्रतीक ठाकरे ने बताया कि एक विशेष पाठ्यक्रम, विशेषज्ञों की सहायता से तैयार किया गया है, जो बच्चों की गति, रुचि और समझ के अनुसार अनुकूलित है। “हम शिक्षा को बोझ नहीं, बल्कि एक आनंदमयी अनुभव बनाना चाहते हैं। स्तंभशाला बच्चों में सीखने की जिज्ञासा को जागृत करने का माध्यम है।”

टीम सदस्य अनुराग शर्मा ने बताया कि संस्था पिछले ढाई वर्षों से ग्रामीण शिक्षा पर कार्य कर रही है और अब पूरे छत्तीसगढ़ में विस्तार की योजना है।

सांस्कृतिक रंग और प्रेरणा

कार्यक्रम के दौरान कक्षा 1 से 5 तक के मेधावी छात्रों को पुरस्कृत किया गया। विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत देशभक्ति गीत, कविता पाठ और समूह नृत्य ने सबका मन मोह लिया। यह आयोजन न सिर्फ बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाता है, बल्कि शिक्षा को उनके लिए रुचिकर और जीवनोपयोगी भी बनाता है।


निपुण भारत मिशन – शिक्षा की नींव मजबूत करने की दिशा में

निपुण भारत (National Initiative for Proficiency in Reading with Understanding and Numeracy) की शुरुआत 5 जुलाई 2021 को की गई थी।
इसका उद्देश्य:

  • वर्ष 2026 तक कक्षा 3 तक के बच्चों को मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान में दक्ष बनाना
  • राज्यवार लक्ष्य निर्धारण और सतत मार्गदर्शन
  • शिक्षकों का विशेष प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण

छत्तीसगढ़ सरकार इस अभियान को गंभीरता से लागू कर रही है। वर्ष 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में लगभग 45% बच्चे अपनी उम्र के अनुसार पढ़ाई में पीछे हैं, ऐसे में स्तंभशाला जैसे नवाचार अहम भूमिका निभा सकते हैं।


निष्कर्ष

‘स्तंभशाला’ केवल एक कक्षा नहीं, बल्कि शिक्षा में परिवर्तन की सोच है।
यह पहल बच्चों को सशक्त करने, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने और भारत के भविष्य को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़ने की दिशा में एक सशक्त कदम है। यदि ऐसी पहलें देशभर में दोहराई जाएं, तो निश्चित ही भारत की शिक्षा प्रणाली में जमीनी बदलाव आएंगे।