रायपुर, 07 जुलाई 2025/
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर अंचल में अब लाल आतंक के खात्मे की निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है। राज्य सरकार ने मार्च 2026 तक बस्तर को पूर्णतः नक्सलमुक्त बनाने का संकल्प लिया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सरकार और सुरक्षाबल सटीक रणनीति, जनसहभागिता और विकास के समर्पित मॉडल के सहारे बस्तर को नई दिशा देने में जुटे हैं।
सुरक्षाबलों की अभूतपूर्व सफलता
पिछले डेढ़ वर्षों में सुरक्षाबलों ने 438 नक्सलियों को मार गिराया, 1515 को गिरफ्तार किया और 1476 नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया। यह आंकड़े स्पष्ट संकेत हैं कि अब नक्सलवाद की कमर टूट चुकी है।
बस्तर में 21 मई 2025 को अबूझमाड़ के जंगलों में सवा 3 करोड़ के इनामी माओवादी सरगना बसव राजू सहित 26 नक्सलियों के मारे जाने की घटना नक्सलवाद के इतिहास की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक रही। इसी प्रकार 1 करोड़ के इनामी नक्सली लक्ष्मी नरसिम्हा चालम उर्फ सुधाकर को 5 जून को पुलिस मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया।
नक्सली गढ़ों में सुरक्षा कैम्प और विकास की रफ्तार
सरकार की “नियद नेल्ला नार (आपका अच्छा गांव)” योजना नक्सलवाद पर करारा प्रहार कर रही है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नई सुरक्षा कैम्पों के माध्यम से 5 किलोमीटर के दायरे में 17 विभागों की 59 योजनाएं और 28 सामुदायिक सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं — जिनमें आवास, अस्पताल, स्कूल, पानी, बिजली, पुल-पुलिया शामिल हैं।
पूवर्ती गांव: जो कभी था नक्सलियों का गढ़
सुकमा जिले का पूवर्ती गांव, जो हिड़मा जैसे खूंखार नक्सलियों का गढ़ माना जाता था, आज बदलाव की मिसाल बन चुका है। यहां पहले सरकारी योजनाएं पहुंच ही नहीं पाती थीं। अब सुरक्षा कैम्प खुलने के बाद बिजली, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं तेज़ी से पहुंच रही हैं।
सांस्कृतिक पुनर्जागरण और विश्वास की वापसी
बस्तर ओलंपिक और बस्तर पंडुम जैसे आयोजनों में जनसहभागिता इस बात का प्रमाण है कि अब बस्तर में शांति लौट रही है। एक समय जो इलाका ढोल-मांदर की जगह बंदूक की आवाज से गूंजता था, वहां अब फिर से संस्कृति की थाप सुनाई देने लगी है।
केंद्र सरकार का समर्थन और स्पष्ट संदेश
22 जून 2025 को छत्तीसगढ़ दौरे पर आए केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने कहा था कि,
“बरसात में आराम करने वाले नक्सली इस बार चैन की नींद नहीं सो पाएंगे। ऑपरेशन जारी रहेगा।”
मुख्यमंत्री साय ने दोहराया:
“जब तक नक्सली हिंसा और उग्रवाद का अंत नहीं हो जाता, हम चुप नहीं बैठेंगे। जवानों की बहादुरी और सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति इस अभियान को ऐतिहासिक सफलता की ओर ले जा रही है।”
निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ सरकार की विकास, सुरक्षा और सहभागिता आधारित रणनीति ने बस्तर में नक्सलवाद को अंतिम सांसों तक पहुंचा दिया है। अब बस्तर केवल संघर्ष का प्रतीक नहीं, बल्कि संभावनाओं और समृद्धि का नया केंद्र बन रहा है।
यह बदलाव केवल एक क्षेत्र नहीं, बल्कि पूरे देश को यह संदेश देता है कि नक्सलवाद अब बीते समय की बात बनने वाला है।
