बीजापुर में 8 लाख का इनामी नक्सली ढेर, मुख्यमंत्री ने सुरक्षाबलों को सराहा, कहा – नक्सलवाद अंतिम सांसें गिन रहा है

रायपुर, 7 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए माओवादी पीएलजीए बटालियन के डिप्टी कमांडर सोढ़ी कन्ना को न्यूट्रलाइज कर दिया है। उस पर 8 लाख रुपये का इनाम घोषित था। इस कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने सुरक्षाबलों के अदम्य साहस, सटीक रणनीति और जनसहभागिता की भूरी-भूरी प्रशंसा की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सफलता प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में चलाए जा रहे देशव्यापी नक्सल उन्मूलन मिशन का हिस्सा है, जो अब निर्णायक चरण में पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2026 तक भारत को नक्सलमुक्त करने का संकल्प अब साकार होने की दिशा में है और छत्तीसगढ़ सरकार इस मिशन में पूरी निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ जुटी है।

मुख्यमंत्री साय का बयान:

“यह कार्रवाई हमारे वीर सुरक्षाबलों के पराक्रम और सुनियोजित अभियानों का जीवंत उदाहरण है। सुरक्षाबलों की निरंतर और निर्णायक कार्रवाइयों ने नक्सल संगठन की रीढ़ तोड़ दी है। आज नक्सलवाद अंतिम सांसें गिन रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार पूरी दृढ़ता के साथ यह अभियान जारी रखेगी।”

उन्होंने आगे कहा कि आने वाले दिनों में राज्य के प्रत्येक कोने में लोकतंत्र, विश्वास और विकास की जीत सुनिश्चित होगी।

कौन था सोढ़ी कन्ना?

सोढ़ी कन्ना माओवादियों की PLGA (People’s Liberation Guerrilla Army) की एक प्रमुख बटालियन का डिप्टी कमांडर था। वह कई हिंसक घटनाओं और सुरक्षाबलों पर हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता था। राज्य पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए वह एक मोस्ट वांटेड नक्सली था।

सुरक्षाबलों की रणनीति सफल

सुरक्षा एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई में सोढ़ी कन्ना को बीजापुर के जंगलों में घेरकर मारा गया। इस ऑपरेशन में स्थानीय जनसहयोग और सटीक खुफिया सूचना की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही।

नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार

बीते कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में नक्सल गतिविधियों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। राज्य सरकार द्वारा विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीति के तहत लगातार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर बढ़ाए गए हैं। इसका सीधा असर नक्सलवाद की पकड़ पर पड़ा है।


निष्कर्ष:

बीजापुर की यह कार्रवाई न केवल सुरक्षा बलों के पराक्रम की प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि छत्तीसगढ़ अब नक्सल मुक्त भविष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता और केंद्र सरकार के दृढ़ संकल्प से यह अभियान अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है।