रायपुर, 7 जुलाई 2025:
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ लोक निर्माण विभाग (गैजेटेड नहीं) सेवा नियम 2016 के नियम 8 अनुसूची-III, क्रमांक 1, कॉलम 5 को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। यह प्रावधान केवल तीन वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा को सब-इंजीनियर पद के लिए अनिवार्य योग्यता मानता था, जिससे इंजीनियरिंग डिग्री धारकों को इस पद के लिए बाहर कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा, “डिग्री धारकों को बाहर करना न केवल अनुचित है, बल्कि यह सक्षम अभ्यर्थियों की भर्ती के उद्देश्य को भी विफल करता है। यह प्रतिबंध समान अवसर और निष्पक्षता के सिद्धांतों के विरुद्ध है तथा संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21 का स्पष्ट उल्लंघन है।”
पृष्ठभूमि:
यह फैसला उन याचिकाओं पर आया है जिनमें इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स ने 27 अप्रैल 2025 को आयोजित सब-इंजीनियर परीक्षा में भाग लेने की अनुमति मांगी थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि 2016 नियमों में केवल डिप्लोमा को योग्यता माना गया है, जबकि इससे पूर्व 2012 के नियमों में डिप्लोमा को न्यूनतम योग्यता माना गया था, जिससे ग्रेजुएट्स भी पात्र माने जाते थे। राज्य सरकार ने अपने बचाव में तर्क दिया कि पुराने नियमों में भी यही प्रावधान था और प्रमोशन के लिए डिप्लोमा/डिग्री दोनों पात्र थे।
कोर्ट का निष्कर्ष:
कोर्ट ने कहा कि एक उच्च योग्यता को अयोग्यता मानना गैर-तर्कसंगत है। अन्य राज्य विभागों जैसे कि लोक निर्माण विभाग और CSPDCL में डिप्लोमा और डिग्री दोनों को पात्र माना गया है। अदालत ने राज्य सरकार की इस चयन नीति को “विभेदकारी कृत्य” बताया। चूंकि अंतरिम आदेश के तहत डिग्रीधारियों को परीक्षा में भाग लेने की अनुमति पहले ही दी जा चुकी थी, कोर्ट ने आदेश दिया कि चयन प्रक्रिया आगे बढ़े और डिग्रीधारियों की पात्रता अन्य शर्तों पर निर्भर होगी।
