नई दिल्ली, 6 जुलाई 2025 — तिब्बती बौद्धों के धर्मगुरु दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के अवसर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और साल 1959 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ दलाई लामा की चार घंटे लंबी बातचीत को याद किया। उन्होंने यह जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की।
“31 मार्च 1959 से शुरू हुआ था भारत में स्थायी प्रवास”
जयराम रमेश ने लिखा, “दलाई लामा का भारत में स्थायी शरण लेना 31 मार्च 1959 से शुरू हुआ था। इससे पहले वे नवंबर 1956 से मार्च 1957 के बीच बुद्ध के 2500वें जन्म जयंती समारोह में भाग लेने भारत आए थे।”
मसूरी में हुई थी ऐतिहासिक मुलाकात
उन्होंने बताया कि “24 अप्रैल 1959 को मसूरी में दलाई लामा और नेहरू के बीच चार घंटे लंबी बातचीत हुई थी, जिसमें केवल विदेश सचिव सुभिमल दत्त और कुछ दुभाषिए ही उपस्थित थे।” रमेश ने इस ऐतिहासिक मुलाकात की दुर्लभ तस्वीर भी साझा की है।
भारत भ्रमण और धर्मशाला में स्थापित हुआ मुख्यालय
बातचीत के बाद दलाई लामा ने पूरे भारत का व्यापक दौरा किया और बाद में उनका स्थायी मुख्यालय धर्मशाला में स्थापित हुआ। साथ ही तिब्बती समुदाय के लिए बयालकुप्पे, मुण्डगोड और हंसूर जैसे स्थानों पर बस्तियां भी बसाई गईं।
आत्मकथा ‘Voice for the Voiceless’ में साझा किए अनुभव
जयराम रमेश ने यह भी बताया कि दलाई लामा ने कुछ माह पूर्व प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘Voice for the Voiceless’ में अपने जीवन के अनुभवों और संघर्षों को साझा किया है, जो बेहद प्रेरणादायक और अंतर्दृष्टिपूर्ण हैं।
दलाई लामा न केवल तिब्बती बौद्धों के आध्यात्मिक नेता हैं बल्कि वे विश्वभर में सम्मानित शांति और करुणा के प्रतीक माने जाते हैं।
