नई दिल्ली, 5 जुलाई 2025 — राष्ट्रीय राजमार्गों (National Highways) पर यात्रा करने वाले वाणिज्यिक वाहन चालकों और आम नागरिकों को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत दी है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने टोल दरों की गणना के नियमों में महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए 50 प्रतिशत तक की कटौती की घोषणा की है, विशेषकर फ्लाईओवर, सुरंग (टनल), पुल और एलिवेटेड रोड सेक्शन जैसे संरचनात्मक हिस्सों पर।
🔹 क्या है नया नियम?
मंत्रालय ने नेशनल हाईवे शुल्क नियम 2008 (NH Fee Rules 2008) में संशोधन करते हुए 2 जुलाई 2025 को अधिसूचना जारी की है। इसमें बताया गया है कि अब से टोल शुल्क की गणना एक नए फॉर्मूले के आधार पर की जाएगी।
🔸 नया फॉर्मूला क्या कहता है?
- अगर किसी हाईवे सेक्शन में संरचनात्मक हिस्से (जैसे पुल, टनल आदि) शामिल हैं, तो शुल्क इस प्रकार तय होगा:
“टोल की गणना उस हिस्से की लंबाई से की जाएगी, जो या तो संरचनाओं की लंबाई का दस गुना है या हाईवे सेक्शन की कुल लंबाई का पांच गुना, जो भी कम हो।”
उदाहरण:
अगर एक हाईवे सेक्शन 40 किलोमीटर लंबा है और इसमें पूरा हिस्सा संरचना से बना है:
- संरचना का 10 गुना = 10 × 40 = 400 किलोमीटर
- सेक्शन का 5 गुना = 5 × 40 = 200 किलोमीटर
👉 शुल्क 200 किलोमीटर के आधार पर तय किया जाएगा।
💡 टोल दर केवल इस गणना की गई लंबाई के 50% हिस्से पर ही लागू होगी, जिससे लगभग 50% तक राहत मिलेगी।
🔹 पहले क्या था नियम?
अब तक नियम यह था कि हाईवे के संरचनात्मक हिस्से जैसे टनल, पुल आदि पर प्रति किलोमीटर सामान्य टोल दर का दस गुना शुल्क लिया जाता था। इससे इन हिस्सों पर यात्रा करना काफी महंगा हो जाता था।
🔹 क्यों किया गया यह बदलाव?
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इन संरचनाओं की निर्माण लागत बहुत अधिक होती है, इसलिए पहले ज्यादा टोल वसूला जाता था। हालांकि, सरकार ने अब संतुलन साधते हुए जनता को राहत देने का निर्णय लिया है।
🔚 निष्कर्ष
यह नया टोल नियम विशेष रूप से उन मार्गों पर यात्रा करने वाले वाहनों को राहत देगा जहां लंबी सुरंगें, फ्लाईओवर, या एलिवेटेड सड़कें मौजूद हैं। वाणिज्यिक वाहन मालिकों और लॉजिस्टिक कंपनियों को इससे लागत में बड़ी बचत होगी, जो अंततः उपभोक्ताओं को भी फायदा पहुंचा सकता है।
