मुंबई, 5 जुलाई 2025 — महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार को एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब ठाकरे बंधु – उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे — लगभग दो दशकों बाद एक साथ मंच पर नजर आए। मुंबई के वर्ली स्थित NSCI डोम में आयोजित कार्यक्रम को भले ही तीन-भाषा नीति की वापसी पर ‘विजय रैली’ कहा गया हो, लेकिन असल मायने में यह ठाकरे परिवार की राजनीतिक ‘घरवापसी’ की झलक बन गई।
🔹 उद्धव और राज: 20 साल बाद एक साथ
राज ठाकरे ने मंच से कहा:
“आज 20 साल बाद मैं और उद्धव साथ आए हैं। जो काम बालासाहेब नहीं कर पाए, वह देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया — हमें फिर से एक कर दिया।”
यह बयान जितना व्यंग्य था, उतना ही भावनात्मक भी। राज ठाकरे ने 2005 में शिवसेना छोड़कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बनाई थी। इसके बाद दोनों के रास्ते हमेशा के लिए अलग हो गए थे। लेकिन मराठी भाषा और मराठी अस्मिता को लेकर दोनों एक बार फिर एक मंच पर दिखे।
उद्धव ठाकरे ने और भी स्पष्ट संकेत दिए:
“हम सिर्फ साथ नहीं आए हैं, बल्कि साथ रहने आए हैं। हम मिलकर मुंबई और महाराष्ट्र में सत्ता वापस लाएंगे।”
🔹 राजनीति से परे ‘मराठी मानूस’ की एकजुटता
कार्यक्रम में खास बात यह रही कि ना तो शिवसेना (UBT) और ना ही MNS का झंडा या प्रतीक कहीं नजर आया। यह एक रणनीतिक फैसला था ताकि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के बजाय मराठी अस्मिता की एकता को सामने लाया जा सके। यह कोशिश जाति, धर्म और वर्ग से ऊपर उठकर ‘मराठी मानूस’ को जोड़ने की थी।
🔹 संभावित गठबंधन, लेकिन आसान नहीं राह
हालांकि मंच पर एकजुटता की बातें हुईं, लेकिन राजनीतिक गठबंधन की राह अब भी मुश्किलों से भरी है। खासकर मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव में सीट बंटवारा एक बड़ी चुनौती होगी। दोनों दलों की ताकत एक ही क्षेत्रों — वर्ली, भांडुप, शिवड़ी — में है।
उल्लेखनीय है कि BMC देश की सबसे अमीर नगर निकाय है, जिस पर शिवसेना 25 साल से अधिक समय से काबिज रही है। मार्च 2022 से चुनाव टले हुए हैं और अब यह चुनाव शिवसेना (UBT) के लिए ‘करो या मरो’ की लड़ाई बन चुकी है।
🔹 MNS के लिए भी अस्तित्व की लड़ाई
MNS पिछले विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी, और 1.6% वोट शेयर के साथ राजनीतिक हाशिए पर चली गई थी। एक मजबूत गठबंधन से MNS को भी नई जान मिल सकती है।
🔹 BJP और शिंदे गुट से मुकाबला
2024 के आंकड़े बताते हैं कि:
- उद्धव की शिवसेना (UBT): 20 सीटें, 10% वोट शेयर
- शिंदे गुट: 57 सीटें, 13% वोट शेयर
- सीधी टक्कर वाली 50 सीटों में: शिंदे गुट 36, उद्धव 14
इन आंकड़ों के बीच BJP यह तर्क दे रही है कि राज ठाकरे का प्रभाव अब नगण्य है, और उद्धव के लिए उनके साथ गठबंधन व्यर्थ होगा।
🔹 निष्कर्ष: संकेत तो स्पष्ट हैं, लेकिन समन्वय जरूरी
ठाकरे बंधुओं की यह ऐतिहासिक जुगलबंदी महाराष्ट्र की राजनीति को नया मोड़ दे सकती है। अगर BMC चुनाव में यह गठबंधन बना और सफल रहा, तो यह न सिर्फ मराठी वोट बैंक को एकजुट करेगा, बल्कि BJP और शिंदे गुट को एक कड़ी चुनौती भी देगा। हालांकि सीट शेयरिंग, नेतृत्व की स्वीकार्यता, और संघटनात्मक तालमेल जैसे मुद्दे हल करना अब भी बाकी हैं।
लेकिन इतना जरूर है कि मराठी अस्मिता की आवाज को राजनीतिक शक्ति में बदलने की कोशिश एक बार फिर तेज हो चुकी है।
