बालोद, 5 जुलाई 2025 — छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को धान के अतिरिक्त फसलों की ओर प्रोत्साहित करने के लिए प्रति एकड़ 11,000 रुपये की आदान सहायता राशि देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में 30 जून को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में यह बड़ा निर्णय लिया गया, जिसे खरीफ 2025 सीजन से लागू किया जाएगा।
🔹 क्या है योजना?
इस योजना के अंतर्गत ऐसे किसान जो पिछले वर्ष यानी खरीफ 2024 में धान की फसल लेकर समर्थन मूल्य पर उसे बेच चुके हैं, यदि वे इस बार यानी खरीफ 2025 में धान के स्थान पर दलहन, तिलहन, मक्का आदि की खेती करते हैं, तो उन्हें सरकार द्वारा प्रति एकड़ 11,000 रुपये की आदान सहायता दी जाएगी। यह सहायता कृषक उन्नति योजना के तहत प्रदान की जाएगी।
यह योजना किसानों को धान के एकमात्र विकल्प से बाहर निकालने और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू की गई है।
🔹 पहले से अन्य फसलों की खेती करने वाले किसान भी लाभान्वित
बालोद जिले सहित राज्य के वे किसान, जो पहले से ही धान के स्थान पर कोदो, कुटकी, रागी (मिलेट्स), कपास, दलहन, तिलहन, मक्का जैसी वैकल्पिक फसलों की खेती कर रहे हैं, उन्हें भी सरकार प्रोत्साहन दे रही है। इन किसानों को प्रति एकड़ 10,000 रुपये की आदान सहायता दी जाएगी।
🔹 सरकार की सोच: फसल विविधीकरण और टिकाऊ खेती
सरकार का उद्देश्य किसानों को केवल धान पर निर्भर रहने से रोकना और अन्य लाभकारी फसलों की ओर आकर्षित करना है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि एक ही तरह की फसल लगातार लेने से मिट्टी की उर्वरता पर असर पड़ता है और आर्थिक जोखिम भी बढ़ता है।
छत्तीसगढ़ बीज एवं कृषि विकास निगम के अध्यक्ष चंद्रहास चंद्राकर ने बताया:
“सरकार चाहती है कि किसान धान के अलावा अन्य फसलों में भी रुचि लें। इसलिए 11,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का फैसला लिया गया है। जैसे धान पर सरकार 19,000 रुपये बोनस दे रही है, वैसे ही अन्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए यह सहायता दी जा रही है।”
🔹 पात्रता शर्तें क्या होंगी?
- किसान ने खरीफ 2024 में धान की फसल ली हो।
- किसान ने एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीयन कर समर्थन मूल्य पर धान बेचा हो।
- खरीफ 2025 में धान की जगह दलहन, तिलहन, मक्का आदि की फसल लेनी होगी।
- पंजीकृत क्षेत्र और फसल परिवर्तन की जानकारी पोर्टल पर अपडेट करना अनिवार्य होगा।
🔹 योजना से लाभ
- फसल विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
- मिट्टी की उर्वरता और जल संरक्षण में मदद मिलेगी।
- किसानों की आय के नए स्रोत विकसित होंगे।
- खरीफ मौसम में फसलों पर बढ़ते दबाव को संतुलित किया जा सकेगा।
📌 निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम राज्य की कृषि व्यवस्था को एकरूपी खेती से विविध कृषि मॉडल की ओर ले जाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। इस फैसले से जहां किसानों को अतिरिक्त आर्थिक सहायता मिलेगी, वहीं राज्य में पारंपरिक खेती के साथ आधुनिक कृषि तकनीकों को भी बढ़ावा मिलेगा।
