भारत की व्यापार नीति पर पियूष गोयल का बड़ा बयान: “समयसीमा नहीं, राष्ट्रीय हित सर्वोपरि”

नई दिल्ली, 4 जुलाई 2025:
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पियूष गोयल ने आज स्पष्ट किया कि भारत किसी भी व्यापार समझौते को केवल समयसीमा या दबाव के आधार पर अंतिम रूप नहीं देगा, बल्कि केवल तभी सहमति बनाएगा जब वह दोनों पक्षों के लिए लाभकारी हो और भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करता हो।

दिल्ली में आयोजित Toy Biz B2B एक्सपो के दौरान मीडिया से बातचीत में श्री गोयल ने कहा, “यह समझौता तभी होगा जब यह ‘विन-विन’ स्थिति निर्मित करे। भारत हमेशा तभी व्यापार वार्ताओं में भाग लेता है जब उसके हित सुरक्षित हों।

इस टिप्पणी का संदर्भ भारत और अमेरिका के बीच संभावित अंतरिम व्यापार समझौते से जुड़ा है, जिसकी घोषणा कभी भी हो सकती है। यह समझौता ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए पारस्परिक टैरिफ की निलंबन अवधि 9 जुलाई को समाप्त हो रही है।

भारत जहां अपने श्रम-प्रधान उत्पादों के लिए बाजार तक अधिक पहुंच चाहता है, वहीं अमेरिका कृषि उत्पादों पर शुल्क में छूट की मांग कर रहा है। यह मुद्दा अत्यंत संवेदनशील है क्योंकि खेती से जुड़े वर्ग दोनों देशों में राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

USIBC (यूनाइटेड स्टेट्स इंडिया बिजनेस काउंसिल) के अध्यक्ष अतुल केशप ने कहा, “कृषि और किसान हर देश में दिल से जुड़े मुद्दे हैं। जैसे जापान में चावल किसानों का महत्व है, वैसे ही भारत और अमेरिका में भी किसान एक मजबूत राजनीतिक आधार हैं। इसलिए कृषि से जुड़े व्यापार समझौते हमेशा सबसे संवेदनशील होते हैं।”

श्री गोयल ने यह भी बताया कि यूरोपीय संघ, न्यूजीलैंड, ओमान, अमेरिका, चिली और पेरू जैसे कई देशों के साथ व्यापार वार्ताएं जारी हैं, लेकिन भारत हर समझौते को पूर्ण परिपक्वता और पारस्परिक लाभ की कसौटी पर परखता है।

उन्होंने विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के उस बयान की भी अनौपचारिक पुष्टि की, जिसमें रूस से तेल खरीद के सवाल पर उन्होंने कहा था कि भारत अपने नागरिकों के हित में जहां से बेहतर सौदा मिलेगा, वहीं से खरीदेगा

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-अमेरिका का यह अंतरिम व्यापार समझौता न केवल पारस्परिक लाभ पर आधारित होगा, बल्कि आने वाले समय में एक व्यापक व्यापार समझौते की नींव भी रखेगा।