पटना, 3 जुलाई 2025।
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कांग्रेस सांसद जयराम रमेश की ‘वोट-बंदी’ संबंधी टिप्पणी पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि यह बयान बिल्कुल निराधार और बेबुनियाद है, जो दिखाता है कि INDI गठबंधन और आरजेडी को बिहार की जनता और आने वाले चुनावों से डर लग रहा है।
अरुण साव ने कहा, “जैसे 2016 में नोटबंदी को लेकर बेबुनियाद बातें की गईं, वैसे ही अब ‘वोट-बंदी’ कहकर लोकतंत्र को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन बिहार की जनता अब जागरूक है और उन्होंने जंगलराज, भ्रष्टाचार और एक परिवार के कुशासन को नहीं भुलाया है।”
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने चुनाव आयोग की “स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)” प्रक्रिया की आलोचना करते हुए इसे लोकतंत्र को “नष्ट” करने वाला बताया था। उन्होंने SIR की तुलना नोटबंदी से करते हुए इसे ‘वोटबंदी’ करार दिया और कहा कि जैसे पीएम की नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था को बर्बाद किया, वैसे ही चुनाव आयोग की ये प्रक्रिया लोकतंत्र को बर्बाद कर देगी।
जयराम रमेश ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि INDI गठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से इस मुद्दे पर मिला, लेकिन आयोग ने पहले मिलने से इनकार किया और फिर प्रत्येक पार्टी से केवल दो प्रतिनिधियों को अनुमति दी, जिससे कई नेता बाहर इंतजार करते रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग एक नए नियमों वाले “नई आयोग” के रूप में काम कर रहा है, जो विपक्ष की आवाज सुनने को तैयार नहीं है।
रमेश ने कहा, “ECI एक संवैधानिक संस्था है, इसे विपक्ष को सुनने से इंकार करने का अधिकार नहीं है। चुनाव आयोग लोकतंत्र की बुनियादी प्रक्रियाओं को कमजोर कर रहा है। हम डर के साथ सोचते हैं कि इस ‘नई आयोग’ का अगला मास्टरस्ट्रोक क्या होगा।”
इस पूरे घटनाक्रम में भाजपा और कांग्रेस दोनों के नेताओं की तीखी बयानबाजी सामने आई है, जिससे यह स्पष्ट है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है।
