बिलासपुर, 3 जुलाई 2025।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि एक साथ दो शैक्षणिक पाठ्यक्रमों की परीक्षा तिथियों में बदलाव को लेकर विश्वविद्यालयों को निर्देश देने का कोई वैधानिक अधिकार छात्रों को नहीं है। अदालत ने इसे न्यायिक रिट क्षेत्राधिकार के अंतर्गत विचार योग्य नहीं मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
यह फैसला 20 जून 2025 को न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की एकलपीठ ने सुनाया। यह याचिका सत्येन्द्र प्रकाश सूर्यवंशी द्वारा दायर की गई थी, जो कोर्ट में स्वयं उपस्थित हुए। याचिकाकर्ता ने बताया कि वे पं. सुंदरलाल शर्मा (ओपन) विश्वविद्यालय से एमएसडब्ल्यू तथा अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय से एलएलबी (तृतीय वर्ष, द्वितीय सेमेस्टर) की पढ़ाई साथ-साथ कर रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि दोनों विश्वविद्यालयों की परीक्षा तिथियां एक ही दिन और समय पर निर्धारित होने के कारण उन्हें कठिनाई हो रही है।
राज्य शासन और दोनों विश्वविद्यालयों के अधिवक्ताओं ने याचिका का विरोध किया। कोर्ट ने कहा कि छात्र को यह अधिकार नहीं है कि वह परीक्षा तिथियों में बदलाव के लिए विश्वविद्यालयों को बाध्य करे। इसके अलावा, रिट याचिका के माध्यम से ऐसे मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ता का तर्क:
सत्येन्द्र सूर्यवंशी ने UGC की अधिसूचना और नई शिक्षा नीति 2020 का हवाला देते हुए कहा कि दो डिग्रियों की अनुमति दी गई है, और परीक्षा तिथियों में टकराव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उल्लंघन के समान है। लेकिन अदालत ने यह तर्क अस्वीकार करते हुए कहा कि यह मामला संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन की श्रेणी में नहीं आता।
अंततः, हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए दो टूक कहा कि परीक्षा कार्यक्रम में बदलाव केवल विश्वविद्यालय का विषय है, न कि न्यायिक निर्देशों का।
