रायपुर, 03 जुलाई 2025।
देश में डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) उर्वरक के आयात में कमी के चलते चालू खरीफ सीजन में छत्तीसगढ़ में इसकी आपूर्ति प्रभावित हुई है। इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने किसानों के लिए एनपीके और एसएसपी जैसे वैकल्पिक उर्वरकों की व्यवस्था सुनिश्चित की है, ताकि किसानों को खाद की कोई परेशानी न हो।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि किसानों को डीएपी की कमी को लेकर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। एनपीके (20:20:0:13 और 12:32:13) एवं एसएसपी जैसे उर्वरकों की भरपूर मात्रा में उपलब्धता सहकारी समितियों के माध्यम से सुनिश्चित की जा रही है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के परामर्श के अनुसार ये उर्वरक डीएपी का प्रभावी विकल्प हैं और अच्छे उत्पादन में सहायक हैं।
सरकार ने एनपीके के वितरण लक्ष्य को 1.80 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 4.90 लाख मीट्रिक टन और एसएसपी को 2 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 3.53 लाख मीट्रिक टन कर दिया है। वहीं, डीएपी के लक्ष्य को 3.10 लाख मीट्रिक टन से घटाकर 1.03 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है। यूरिया (7.12 लाख मीट्रिक टन) और एमओपी (60 हजार मीट्रिक टन) के लक्ष्य को पूर्ववत रखा गया है।
इस संशोधन के बाद चालू खरीफ सीजन के लिए कुल उर्वरक वितरण लक्ष्य 14.62 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 17.18 लाख मीट्रिक टन हो गया है। 12.13 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों का पहले से भंडारण किया जा चुका है, जिसमें से अब तक 7.29 लाख मीट्रिक टन का वितरण किसानों को किया जा चुका है। वर्तमान में 4.84 लाख मीट्रिक टन उर्वरक राज्य में उपलब्ध हैं।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, डीएपी के विकल्प के रूप में तीन बोरी एसएसपी और एक बोरी यूरिया का उपयोग कर फसलों को आवश्यक पोषक तत्व – फॉस्फोरस, कैल्शियम, नाइट्रोजन और सल्फर – की आपूर्ति की जा सकती है। एसएसपी न केवल पौधों की वृद्धि में सहायक है, बल्कि जड़ों के विकास और फसल की गुणवत्ता में भी सुधार करता है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि किसानों की समस्याओं का समाधान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और खाद-बीज की उपलब्धता पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
