रायपुर, 01 जुलाई 2025/
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राज्य के पारंपरिक कारीगरों, बुनकरों और हस्तशिल्प से जुड़े लोगों की आजीविका में सुधार के लिए समेकित रणनीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पीढ़ियों से चली आ रही बुनाई, कढ़ाई, हस्तशिल्प और माटीकला जैसी परंपरागत कलाओं को जीवित रखना और इससे जुड़े कारीगरों की आयवृद्धि और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने मंत्रालय महानदी भवन में ग्रामोद्योग विभाग की कार्यों की समीक्षा बैठक ली। बैठक में रेशम उत्पादन, कोसा वस्त्र, खादी, हथकरघा और माटीकला से जुड़े क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाओं और योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
कारीगरों को मिलेगा प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन पारंपरिक क्षेत्रों में स्थायी रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि कारीगरों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण, आधुनिक तकनीक, वित्तीय सहयोग और विपणन सहायता उपलब्ध कराने के लिए ठोस योजना बनाई जाए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के लिए आवंटित राशि का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित किया जाए।
ऑनलाइन विपणन और निर्यात को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के हस्तनिर्मित उत्पादों को देश और विदेश में प्रसारित और विपणित किया जाए। इसके लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और निर्यात की संभावनाएं तलाशने हेतु विशेषज्ञों की सहायता लेने को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि यूनिटी मॉल का निर्माण गुणवत्ता और समयबद्धता के साथ पूर्ण हो, ताकि राज्य के उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर एक विशिष्ट पहचान और ब्रांडिंग मिल सके।
रेशम उद्योग को मिलेगी नई ऊंचाई
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के रेशम उत्पादन को नई तकनीकों के माध्यम से सशक्त करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि रेशम उद्योग को मजबूत बनाकर अधिक लोगों को रोजगार दिया जा सकता है।
उच्च अधिकारियों की उपस्थिति
बैठक में मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह, सचिव ग्रामोद्योग श्री श्याम धावड़े, प्रबंध संचालक हस्तशिल्प एवं माटीकला बोर्ड श्री जे.पी. मौर्य सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने अंत में कहा कि “हम अपने पारंपरिक कारीगरों की कला को सम्मान देकर ही उनके जीवन को समृद्ध बना सकते हैं।”
