रायपुर, 30 जून 2025:
छत्तीसगढ़ की पारंपरिक वन संपदा और आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक से जोड़ते हुए आज मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा क्षेत्र स्थित जमगांव (म) में एक अत्याधुनिक आयुर्वेदिक औषधि प्रसंस्करण इकाई और केंद्रीय गोदाम परिसर का लोकार्पण किया। यह परियोजना छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा विकसित की गई है और इसमें Sprayer Biotech Private Limited के साथ पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत हर्बल एक्सट्रैक्शन यूनिट भी स्थापित की गई है।
2,000 लोगों को मिलेगा रोजगार, आयुर्वेद को मिलेगा वैश्विक मंच
मुख्यमंत्री साय ने कहा, “यह परियोजना छत्तीसगढ़ के 44% वन क्षेत्र का सही दोहन करते हुए आदिवासी समुदायों के लिए आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी।” उन्होंने बताया कि यह इकाई मध्य भारत की सबसे बड़ी हर्बल प्रसंस्करण इकाई है, जो प्रतिवर्ष ₹50 करोड़ मूल्य की आयुर्वेदिक औषधियों का उत्पादन करेगी। इसके माध्यम से 2,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा, जिसमें महिलाओं की भागीदारी को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाएगा।
‘वन से फार्मेसी’ मॉडल की साकार कल्पना
यह परियोजना ‘Forest to Pharmacy’ मॉडल को मूर्त रूप देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। 27.87 एकड़ में ₹36.47 करोड़ की लागत से निर्मित इस इकाई में महुआ, साल बीज, कालमेघ, गिलोय और अश्वगंधा जैसे वनोपजों को वैज्ञानिक ढंग से चूर्ण, सिरप, तेल, टैबलेट और अवलेह के रूप में संसाधित किया जाएगा। इस इकाई के माध्यम से राज्य की ‘छत्तीसगढ़ हर्बल्स’ ब्रांड को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान दिलाई जाएगी।
वनोपज संग्रहण में महिलाओं की भागीदारी
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह इकाई न केवल औषधि निर्माण का केंद्र बनेगी, बल्कि स्थानीय युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेगी। 20,000 मीट्रिक टन क्षमता वाले आधुनिक गोदाम का निर्माण भी किया गया है, जिससे मौसमी वनोपजों के दीर्घकालिक भंडारण और गुणवत्ता नियंत्रण को मजबूती मिलेगी।
‘चरन पादुका योजना’ के तहत वन श्रमिकों को सम्मान
इस अवसर पर एक संवेदनशील पहल के तहत मुख्यमंत्री ने खुद बलौद जिले की शाकुंतला कुरैती को चरन पादुका योजना के तहत सुरक्षात्मक जूते पहनाकर सम्मानित किया। इस मानवीय पहल की सभी ओर सराहना हुई। इसके बाद वन मंत्री केदार कश्यप, सांसद विजय बघेल और अन्य जनप्रतिनिधियों ने अन्य महिला लाभार्थियों को भी जूते भेंट किए।
वन मंत्री ने बताया – छत्तीसगढ़ बन रहा है हर्बल उत्पादों का वैश्विक केंद्र
वन मंत्री केदार कश्यप ने बताया कि छत्तीसगढ़ की 44.1% वन भूमि को आयुर्वेद और वनोपजों के माध्यम से लाभकारी बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह इकाई संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन की समन्वित प्रणाली को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ विजन को मिलेगी मजबूती
मुख्यमंत्री ने इस पहल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की दिशा में एक सार्थक प्रयास बताया। उन्होंने बताया कि हाल ही में तेंदूपत्ता संग्रहण दर ₹4,500 से बढ़ाकर ₹5,500 प्रति बोरा की गई है, जिससे 13 लाख से अधिक परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने सभी नागरिकों से ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के अंतर्गत कम से कम एक पौधा लगाने की अपील की और स्वयं आंवला का पौधा रोपकर इसकी शुरुआत की। इस अवसर पर अन्य अतिथियों ने बेल और सीताफल के पौधे लगाए।
प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में महा मंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज, सांसद विजय बघेल, विधायक डोमनलाल कोर्सेवाड़ा, ललित चंद्राकर, गजेंद्र यादव, रिकेश सेन, पूर्व मंत्री रामशिला साहू, पूर्व विधायक दयाराम साहू, विकास मरकाम, रामसेवक पैकरा, PCCF वी. श्रीनिवास राव, संघ के प्रबंध संचालक अनिल कुमार साहू, कार्यकारी अध्यक्ष एस. मणिकासन सहित बड़ी संख्या में आमजन एवं अधिकारी उपस्थित रहे।
