छत्तीसगढ़ में पेट्रोल पंप अब सरकार के नियंत्रण से बाहर, उपभोक्ताओं की सुरक्षा पर उठे सवाल

रायपुर, 30 जून 2025। छत्तीसगढ़ में अब पेट्रोल पंप संचालकों को खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग से लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं होगी। केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत राज्य सरकार ने पेट्रोल पंपों को विभागीय नियंत्रण से मुक्त कर दिया है। इस फैसले से पेट्रोल-डीजल की गुणवत्ता, माप, मूल्य और मिलावट जैसे मामलों में अब कोई प्रशासनिक जवाबदेही नहीं रह गई है।

यह बदलाव राज्य सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी कर करीब एक माह पूर्व लागू किया गया था, जो हाल ही में जिला खाद्य शाखाओं तक पहुंचा है।

अब कोई निगरानी नहीं, उपभोक्ता संगठनों में चिंता

पेट्रोल और डीजल भले ही अब भी सरकार की आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल हैं, लेकिन नियंत्रण हटने के बाद अब यह स्पष्ट नहीं है कि यदि इन ईंधनों में मिलावट या गड़बड़ी होती है तो जवाबदेह कौन होगा

उपभोक्ता संगठन इस फैसले को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि व्यापारिक स्वतंत्रता अच्छी बात है, लेकिन जनहित के लिए प्रभावी निगरानी तंत्र भी आवश्यक है। यदि अब पंप संचालक मिलावटी ईंधन बेचें या अधिक मूल्य वसूलें, तो आम जनता शिकायत करने के लिए कहीं नहीं जा सकती।

मध्य प्रदेश में भी उठी थी मिलावट की शिकायत

मध्य प्रदेश में हाल ही में मुख्यमंत्री के काफिले की गाड़ियों में भरे गए पेट्रोल में पानी की मिलावट की शिकायत सामने आई थी। इससे पेट्रोल पंपों की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए थे। छत्तीसगढ़ में भी यही डर अब सामने आने लगा है।

एथेनाल की मिलावट से मुनाफाखोरी की आशंका

सरकार ने पेट्रोल में 10% एथेनाल मिलाने की अनुमति दी है, जिसे 2025 तक 20% करने का प्रस्ताव है।
एथेनाल की कीमत करीब ₹58 प्रति लीटर है, जबकि पेट्रोल ₹100 के आसपास बिक रहा है। ऐसे में एक लीटर पेट्रोल में 10% एथेनाल मिलाने से प्रति लीटर ₹4.20 तक का अतिरिक्त मुनाफा संभव है।
यदि इस पर कोई निगरानी नहीं रही, तो पंप संचालक जानबूझकर अधिक मिलावट कर सकते हैं, जिससे वाहनों के इंजन खराब होने की भी आशंका है।

सेवानिवृत्त खाद्य अधिकारी संजय दुबे का कहना है कि, “यदि निगरानी नहीं हुई, तो यह मुनाफाखोरी का जरिया बन जाएगा और उपभोक्ताओं को आर्थिक और तकनीकी दोनों तरह का नुकसान झेलना पड़ेगा।”

अब निगरानी व्यवस्था की मांग तेज

सरकार से यह मांग उठ रही है कि अगर लाइसेंस प्रक्रिया समाप्त की गई है, तो उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए वैकल्पिक निगरानी तंत्र की घोषणा की जाए।