पाटन, 29 जून 2025:
सावन के पवित्र माह में आयोजित होने वाली बोल बम कांवर यात्रा को लेकर पाटन विश्रामगृह में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में बोल बम कांवर यात्रा समिति के संयोजक श्री जितेंद्र वर्मा की गरिमामयी उपस्थिति रही। बैठक में आगामी कांवर यात्रा की तैयारियों को लेकर विस्तृत चर्चा की गई तथा यात्रा को और भव्य एवं सुव्यवस्थित बनाने पर विशेष जोर दिया गया।
बैठक में समिति के सदस्यों ने विगत वर्षों की यात्रा की समीक्षा करते हुए सुझाव दिए कि इस वर्ष की यात्रा को “सर्वे भवन्तु सुखिनः” और जल संरक्षण के पावन उद्देश्य के साथ निकाला जाएगा। यह यात्रा सावन के तीसरे सोमवार, 28 जुलाई 2025 को निकलेगी और टोलाघाट में रुद्राभिषेक एवं जलाभिषेक के साथ सम्पन्न होगी।
श्री जितेंद्र वर्मा ने कहा कि “भगवान शंकर के आशीर्वाद और आप सभी श्रद्धालुओं के सहयोग से कांवर यात्रा वर्ष दर वर्ष भव्यता की ओर अग्रसर है। इस बार भी समिति जनजागृति और शिवभक्ति के भाव को लेकर एक नई ऊर्जा के साथ तैयार है।”
इस वर्ष भी यात्रा के दौरान “एक मुट्ठी दान भगवान शंकर के नाम” अभियान के अंतर्गत श्रद्धालुओं द्वारा एकत्र चावल से महाप्रसादी तैयार कर भक्तों के बीच वितरित की जाएगी। यात्रा की बेहतर तैयारी के लिए गांव-गांव में बैठक आयोजित करने हेतु प्रभारियों की नियुक्ति भी की गई है।
इस बैठक में प्रमुख रूप से कमलेश वर्मा (उपाध्यक्ष, जनपद पंचायत पाटन), निशा सोनी (उपाध्यक्ष, नगर पंचायत पाटन), रानी बंछोर (मंडल अध्यक्ष पाटन), दिनेश साहू, अनिल वर्मा, दाऊ केदारनाथ चंद्राकर, प्रमोद वाग, नेतराम निषाद, विनोद साहू, विष्णु निषाद, किरण वर्मा, केशव बंछोर, माधव वर्मा, गिरधर प्रसाद, योगेश सोनी, राकेश आडील, भास्कर वर्मा, दुलेश्वर सिंह मानकुर, चित्रसेन साहू, आशीष बंछोर, संजू वर्मा, प्रवीण मढ़रिया, वासु वर्मा, रामचंद वर्मा, रिंकु वर्मा, गोपीचंद धरमगुड़ी, यशवंत सेन, टीकेंद्र वर्मा, कुणाल वर्मा, विजयकांत वर्मा, अमित वर्मा, देवा साहू, कौशल, सपन साहू, थानेश्वर धीवर, नरेंद्र साहू, सुरेश निषाद, प्रेमलाल साहू, चंद्रसेन साहू, धनेश्वर साहू, पीलाराम, भोजेंद्र साहू, योगेश यादव, अजय शर्मा, ओंकार सिंह वर्मा और अजय निर्मल सहित बड़ी संख्या में समिति सदस्य एवं भक्तगण उपस्थित रहे।
बैठक के अंत में सभी ने यह संकल्प लिया कि कांवर यात्रा को शांतिपूर्ण, श्रद्धापूर्ण एवं जनभागीदारी के साथ संपन्न किया जाएगा, जिससे यह आयोजन सामाजिक सद्भाव और धार्मिक आस्था का प्रतीक बने।
