दुर्ग, 29 जून 2025:
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम जामगांव (एम) में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ मर्यादित द्वारा निर्मित आधुनिक आयुर्वेदिक औषधि प्रसंस्करण इकाई, केन्द्रीय भण्डारगृह परिसर तथा स्प्रेयर बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा PPP मॉडल पर निर्मित हर्बल एक्सट्रैक्शन इकाई का भव्य लोकार्पण किया।
इस ऐतिहासिक अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ वन मंत्री श्री केदार कश्यप, सांसद श्री विजय बघेल, विधायकगण, पूर्व मंत्रीगण, संत समाज और वन अधिकारियों की उपस्थिति रही। मुख्यमंत्री श्री साय ने समारोह की शुरुआत आंवला का पौधा रोप कर की। अन्य अतिथियों ने भी बेल और सीताफल के पौधे रोपित कर पर्यावरण सरंक्षण का संदेश दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना छत्तीसगढ़ को आयुर्वेद और वनोपज आधारित अर्थव्यवस्था में अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने बताया कि इस इकाई के माध्यम से हर वर्ष ₹50 करोड़ मूल्य की औषधीय उत्पादों का निर्माण होगा, जिससे लगभग 2000 लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। महिलाओं और युवाओं को प्राथमिक प्रसंस्करण से लेकर तकनीकी प्रशिक्षण तक स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि इस परियोजना से “फॉरेस्ट टू फर्मेसी” मॉडल को मूर्तरूप मिलेगा, जिससे वनों से प्राप्त औषधीय कच्चे माल का वैज्ञानिक एवं आधुनिक तरीके से उपयोग कर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बनाए जाएंगे। संयंत्र में 20,000 मीट्रिक टन क्षमता वाला आधुनिक वेयरहाउस भी स्थापित किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने इस मौके पर कई जनहितकारी योजनाओं की भी जानकारी दी, जैसे –
- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 18 लाख आवासों की स्वीकृति
- धान खरीदी पर प्रति क्विंटल ₹3100 की राशि
- महतारी वंदन योजना में ₹1000 प्रतिमाह की सहायता (70 लाख महिलाओं को लाभ)
- रामलला दर्शन योजना और मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना का पुनः प्रारंभ
- भूमिहीन कृषि मजदूरों को सालाना ₹10,000 की सहायता
- तेंदूपत्ता संग्रहण दर ₹4500 से बढ़ाकर ₹5500
- चरण पादुका योजना की पुनः शुरुआत
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए बालोद जिले की महिला हितग्राही को स्वयं चरण पादुका पहनाकर सम्मानित किया।
वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि इस प्रसंस्करण इकाई से प्रदेश के 13 लाख से अधिक वनोपज संग्राहकों को सीधा लाभ मिलेगा और राज्य की पहचान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होगी।
महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 डॉ. स्वामी कैलाशनंद गिरी जी महाराज ने भी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसे भारत की अमूल्य धरोहर बताया।
यह परियोजना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” के विजन को साकार करती है। यह न केवल आर्थिक व सामाजिक समावेशिता को बढ़ावा देगी, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में भी एक सकारात्मक पहल है।
