रायपुर, 27 जून 2025 — मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के पावन अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई दी हैं। उन्होंने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और माता सुभद्रा से सभी नागरिकों के सुख, समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना की है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने अपने संदेश में कहा कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भारत की सांस्कृतिक समरसता, धार्मिक श्रद्धा और सामाजिक सौहार्द्र का प्रतीक है। यह पर्व भक्ति, आस्था और सेवा की भावना को जागृत करता है तथा लोगों को एकता और भाईचारे के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
🔷 पुरी से छत्तीसगढ़ तक फैली है आस्था
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुरी, ओडिशा में स्थित भगवान जगन्नाथ का धाम, इस रथयात्रा का वैश्विक केंद्र है, जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु शामिल होकर महाप्रभु के दर्शन करते हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में भी उत्कल समाज के सहयोग से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भव्यता और श्रद्धा के साथ निकाली जाती है।
राज्य में रायपुर, भिलाई, दुर्ग, बिलासपुर और अन्य शहरों में रथयात्रा का आयोजन वर्षों से धार्मिक श्रद्धा और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाया जाता रहा है। यह आयोजन छत्तीसगढ़ और ओडिशा के सांस्कृतिक संबंधों की भी गवाही देता है।
🔷 धार्मिक एकता का पर्व
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि रथयात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने वाला पर्व है। इसमें विभिन्न समुदाय, वर्ग और आयु के लोग समान रूप से भाग लेते हैं, जो हमारी गंगा-जमुनी तहजीब और लोकधर्म को दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह पर्व हमें निःस्वार्थ सेवा, समानता और दीन-दुखियों के कल्याण की सीख भी देता है।
🔷 रथयात्रा से जुड़ी छत्तीसगढ़ की परंपरा
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राचीन काल से ही छत्तीसगढ़वासियों की भगवान जगन्नाथ में गहरी श्रद्धा रही है। प्रदेश में कई स्थानों पर जगन्नाथ मंदिर स्थापित हैं, जहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। रथयात्रा के दौरान विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन, प्रसाद वितरण जैसे आयोजन होते हैं जो धार्मिक उल्लास और सांस्कृतिक उत्सव का वातावरण बनाते हैं।
🔷 मुख्यमंत्री की शुभकामनाएं
अपने संदेश के अंत में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि —
“भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा हम सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें, और छत्तीसगढ़ प्रदेश को शांति, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाएं। यह महापर्व हम सभी में भक्ति, सेवा और सद्भाव की भावना को और भी मजबूत करे।”
