छत्तीसगढ़ सरकार की ऐतिहासिक पहल: अब वन पट्टों का फौती नामांतरण होगा सरल और पारदर्शी

रायपुर, 26 जून 2025 – छत्तीसगढ़ सरकार ने वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत फौती नामांतरण की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और व्यवस्थित बना दिया है। इसके तहत अब किसी वन पट्टाधारी की मृत्यु के बाद उसके वैध वारिसों को जमीन के अधिकार सहजता से हस्तांतरित किए जा रहे हैं। इससे न सिर्फ उन्हें भूमि का वैधानिक स्वामित्व प्राप्त हो रहा है, बल्कि शासकीय योजनाओं का लाभ भी मिलना संभव हुआ है।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट किया कि सरकार की प्राथमिकता है कि प्रत्येक वन पट्टा धारक परिवार को उसका हक और सम्मान मिले। राज्य सरकार की यह पहल उन हजारों परिवारों के लिए राहत लेकर आई है जो वर्षों से नामांतरण की प्रक्रिया में फंसे थे।


🔷 वन अधिकार अधिनियम की स्थिति छत्तीसगढ़ में

देशभर में 23 लाख 88 हजार 834 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र वितरित किए गए हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ में अकेले 4 लाख 82 हजार 471 वन पट्टे जारी किए गए हैं। यह संख्या देश में सर्वाधिक है। हालांकि, अधिनियम में पूर्व में फौती नामांतरण की स्पष्ट प्रक्रिया न होने से वारिसों को अधिकार मिलने में समस्याएं आ रही थीं।

छत्तीसगढ़ सरकार ने इस कमी को दूर करते हुए एक व्यवस्थित फौती नामांतरण प्रक्रिया तैयार की है। अब तक 11,600 से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में निराकरण की दिशा में कार्य हो रहा है।


🔷 मोर जंगल, मोर जमीन, मोर वन अधिकार योजना

राज्य सरकार ने “मोर जंगल, मोर जमीन, मोर वन अधिकार” अभियान के अंतर्गत वनों में निवास करने वाले अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वनवासियों के पैतृक वन भूमि अधिकारों को मान्यता दी है। इसमें नामांतरण, सीमांकन, खाता विभाजन, अभिलेख सुधार एवं डिजिटलीकरण जैसे सभी कार्य सम्मिलित हैं।

अब तक प्राप्त 11,623 आवेदनों में से 3,800 आवेदनों का निराकरण कर दिया गया है। इससे हजारों परिवारों को अब पीएम किसान सम्मान निधि, धान खरीदी, और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने लगा है।


🔷 फौती नामांतरण की प्रक्रिया

  1. वन पट्टाधारी के निधन के बाद कैफियत कॉलम में संशोधन किया जाता है।
  2. विधिक वारिसों के बीच खाता विभाजन की सुविधा दी जाती है।
  3. सरकारी नक्शों में सीमांकन कर वन अधिकार को दर्ज किया जाता है।
  4. सभी अभिलेखों जैसे वन अधिकार पुस्तिका आदि में त्रुटियों का समाधान किया जाता है।

🔷 डिजिटलीकरण एवं तकनीकी प्रगति

वन अधिकार पत्रों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है, जिससे इनकी ऑनलाइन उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। इसमें रिमोट सेंसिंग और GIS तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।

अब तक 4,82,471 में से 3,40,129 वन पट्टों की स्कैनिंग और अपलोडिंग हो चुकी है। साथ ही आधार, जनधन खाता, जॉब कार्ड जैसी जानकारियाँ भी जुड़ी जा रही हैं। यदि किसी पत्रधारक के पास दस्तावेज नहीं है, तो वह अब ऑनलाइन प्राप्त कर सकता है।


🔷 वन अधिकारों का व्यापक वितरण

  • व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र: 4,82,471
  • सामुदायिक वन अधिकार पत्र: 48,249
  • सामुदायिक वन संसाधन अधिकार: 4,396

इस प्रकार छत्तीसगढ़ में वन अधिकार अधिनियम का सक्रिय और सशक्त क्रियान्वयन हो रहा है, जिससे लाखों परिवारों को स्थायित्व, अधिकार और योजनाओं का लाभ मिल रहा है।