आपातकाल की 50वीं बरसी पर भाजपा ने ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया, कांग्रेस पर जमकर बरसे नेता

दुर्ग, 25 जून 2025

भारतीय जनता पार्टी ने 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल की 49वीं वर्षगांठ को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाया। इस अवसर पर भाजपा दुर्ग जिला कार्यालय में विशेष चित्र प्रदर्शनी लगाई गई और मीसा बंदियों व उनके परिजनों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम में भाजपा नेताओं ने आपातकाल को लोकतंत्र का काला अध्याय बताते हुए कांग्रेस पार्टी की तीखी आलोचना की।

🏛 कार्यक्रम की प्रमुख बातें

मुख्य अतिथि दुर्ग लोकसभा सांसद विजय बघेल ने कहा कि “25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सत्ता की भूख में देश पर आपातकाल थोप दिया, जबकि इसकी कोई राष्ट्रीय आवश्यकता नहीं थी।” उन्होंने कहा कि “देशवासियों से उनके मौलिक अधिकार छीन लिए गए, प्रेस की स्वतंत्रता खत्म कर दी गई, और विपक्ष के नेताओं को जेल में डाल दिया गया। आज भी देश इस दंश को नहीं भूला है।”

उन्होंने आगे कहा कि “अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जयप्रकाश नारायण जैसे शीर्ष नेताओं को जेल में डाल दिया गया। जेलों में इतनी भीड़ हो गई थी कि जगह कम पड़ गई थी। प्रेस पर सेंसरशिप लागू की गई, और विरोध करने वालों को बेरहमी से प्रताड़ित किया गया।”

🧑‍⚖ लोकतंत्र पर हमला: नेताओं के तीखे आरोप

भाजपा जिला अध्यक्ष सुरेंद्र कौशिक ने आपातकाल को “देश का सबसे गहरा लोकतांत्रिक जख्म” बताते हुए कहा कि “इंदिरा गांधी ने संविधान का दुरुपयोग कर देश को तानाशाही की ओर धकेल दिया।” उन्होंने कहा कि “मोदी सरकार द्वारा इसे संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना इसलिए ज़रूरी है ताकि नई पीढ़ी को यह मालूम हो कि जब सत्ता लोभी हो जाए, तो वह देश के लोकतांत्रिक ढांचे को भी कुचल सकती है।”

विधायक ललित चंद्राकर ने कहा कि “कांग्रेस ने लोकतांत्रिक संस्थाओं, प्रेस की आज़ादी और न्यायपालिका की निष्पक्षता को पूरी तरह कुचल डाला था। आज भी कांग्रेस की मानसिकता वही है, केवल चेहरे बदले हैं।”

दुर्ग शहर विधायक गजेंद्र यादव ने कहा कि “आपातकाल के दौरान कई ऐसे उदाहरण हैं जब कैदियों को अपने परिजनों की अंतिम क्रिया में शामिल होने की अनुमति तक नहीं मिली। उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का उदाहरण दिया, जिन्हें अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई थी।”

🎖 मीसा बंदियों का सम्मान

कार्यक्रम में मीसा कानून के तहत बंद किए गए लोकतंत्र सेनानियों या उनके परिजनों को शॉल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इनमें प्रमुख नाम शामिल हैं:

  • राम पाटनकर, ठाकुर जनार्दन सिंह, लक्ष्मीनारायण ठाकुर, चिंतामणि वामन, वासुदेव पाटनकर,
  • गोवर्धन जायसवाल, स्व. मोहनलाल भैया, स्व. डॉ. वामन वासुदेव पाटनकर,
  • स्व. डॉ. लक्ष्मीनारायण चंद्राकर, स्व. ज्योति प्रकाश साहू, स्व. किशनलाल शर्मा सहित अन्य।

🗣 अन्य वक्ताओं के विचार

  • पूर्व मंत्री रमशीला साहू, उषा टावरी, चंद्रिका चंद्राकर, जितेंद्र वर्मा, दिनेश देवांगन सहित सभी वक्ताओं ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि आपातकाल का सच हर नागरिक तक पहुंचाना हम सभी की जिम्मेदारी है।

📸 चित्र प्रदर्शनी और आयोजन

कार्यक्रम में आपातकाल के दौरान की घटनाओं और दमनकारी नीतियों पर आधारित चित्र प्रदर्शनी लगाई गई, जिसे सभी अतिथियों ने देखा। दिनेश देवांगन ने कार्यक्रम का संचालन किया और सुनील अग्रवाल ने आभार प्रकट किया।

👥 प्रमुख उपस्थिति

इस कार्यक्रम में विजय ताम्रकार, आशीष निमजे, दीपक चोपड़ा, नीलेश अग्रवाल, राजा महोबिया, रजनीश श्रीवास्तव, अजय तिवारी, महेंद्र लोढ़ा, अनुपम साहू, साजन जोसेफ, उमा भारती साहू, सरिता मिश्रा, झरना वर्मा, मनीष कोठारी, पूनम यादव, अंजू तिवारी, नीतू श्रीवास्तव, कृतिका आढतिया सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।