अंतरिक्ष की नई उड़ान: भारतीय शुभांशु शुक्ला सहित भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्षयात्रियों ने रचा इतिहास

25 जून 2025
भारत, पोलैंड और हंगरी ने दशकों बाद एक बार फिर अंतरिक्ष की ओर कदम बढ़ाया है। बुधवार तड़के अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से Axiom Mission 4 (Ax-4) के तहत इन तीनों देशों के अंतरिक्षयात्रियों को लेकर एक वाणिज्यिक मिशन SpaceX के Falcon 9 रॉकेट के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना हुआ।

यह मिशन अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिख रहा है, क्योंकि यह भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के बाद पहली बार है जब कोई भारतीय अंतरिक्ष में गया है।


✨ कौन हैं मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री?

  • शुभांशु शुक्ला (भारत) – भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट, जो इस मिशन के तहत भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
  • स्लावोस उज़्नान्स्की-विस्निवेस्की (पोलैंड) – पोलिश मिशन विशेषज्ञ।
  • तिबोर कपु (हंगरी) – हंगरी के अंतरिक्षयात्री और मिशन विशेषज्ञ।
  • पेगी व्हिटसन (अमेरिका) – मिशन की कमांडर और पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री, जो अब Axiom Space के साथ जुड़ी हैं।

🚀 प्रक्षेपण और यात्रा

Ax-4 मिशन बुधवार सुबह 2:31 (स्थानीय समय) पर सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ। इसमें SpaceX का बिल्कुल नया Crew Dragon कैप्सूल प्रयोग किया गया है। यह यान गुरुवार को ISS से डॉकींग करेगा और लगभग 14 दिन तक वहीं रहेगा।


🇮🇳 भारत के लिए क्यों है यह खास?

भारत के अंतरिक्ष इतिहास में यह एक ऐतिहासिक मोड़ है, क्योंकि राकेश शर्मा के बाद किसी भारतीय ने अंतरिक्ष की यात्रा नहीं की थी। ISRO इस मिशन को 2027 में प्रस्तावित अपने “गगनयान” मिशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मान रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस उपलब्धि पर खुशी जताई और लिखा:

शुभांशु शुक्ला 1.4 अरब भारतीयों की आशा और आकांक्षाएं लेकर अंतरिक्ष गए हैं। उन्हें और अन्य अंतरिक्षयात्रियों को सफलता की शुभकामनाएं।

सूत्रों के अनुसार, अंतरिक्ष में रहते हुए शुभांशु शुक्ला प्रधानमंत्री मोदी से संवाद भी कर सकते हैं, जो एक राष्ट्रीय गौरव का क्षण होगा।


💰 खर्च और भागीदारी

इस मिशन में सभी देश अपनी-अपनी सीट के लिए खर्च उठा रहे हैं। हंगरी ने पहले ही इस पर $100 मिलियन (लगभग ₹830 करोड़) खर्च की जानकारी दी है, जबकि भारत और पोलैंड ने अपनी लागत का खुलासा नहीं किया है।


🛰 मिशन के वैज्ञानिक उद्देश्य

Ax-4 के दौरान लगभग 60 वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें शामिल हैं:

  • माइक्रोएल्गी (सूक्ष्म शैवाल) पर शोध
  • सलाद बीज अंकुरण
  • अंतरिक्ष में टार्डिग्रेड्स (सूक्ष्म जीव) की जीवित रहने की क्षमता पर अध्ययन

💥 मिशन में देरी और राजनीतिक पृष्ठभूमि

Ax-4 मिशन को जून की शुरुआत में लॉन्च होना था, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और SpaceX के CEO एलन मस्क के बीच विवाद के कारण इसमें देरी हुई। ट्रंप द्वारा SpaceX के सरकारी अनुबंध रद्द करने की धमकी और मस्क की ओर से Dragon कैप्सूल को जल्दी रिटायर करने की प्रतिक्रिया ने हलचल मचा दी थी। हालांकि बाद में मस्क ने बयान को “काफी आगे बढ़ गया था” कहकर स्थिति को शांत किया।


🚀 भविष्य की योजना

Ax-4 में SpaceX का पांचवां और अंतिम Crew Dragon कैप्सूल प्रयोग हो रहा है। इसका नाम कक्षा में पहुंचने के बाद तय किया जाएगा। इससे पहले के नाम हैं:
Endeavour, Resilience, Endurance और Freedom

भविष्य में SpaceX इन कैप्सूल्स को Starship नामक अपनी अगली पीढ़ी की बड़ी रॉकेट प्रणाली से बदलने की योजना बना रहा है।


📌 निष्कर्ष

Ax-4 केवल एक अंतरिक्ष मिशन नहीं, बल्कि भारत, पोलैंड और हंगरी जैसे देशों के लिए नई अंतरिक्ष युग की शुरुआत है। यह मिशन विज्ञान, तकनीक और राष्ट्रीय गर्व की एक मिसाल बन चुका है।