कोरबा, छत्तीसगढ़ | 24 जून 2025
कोरबा जिले के बेलगहना क्षेत्र में एक पति द्वारा पत्नी की निर्मम हत्या का दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। चरित्र पर शक के चलते एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को डंडे और ईंट से पीट-पीटकर मार डाला। यह वारदात उस समय हुई जब दोनों रिश्तेदार के घर से भोजन करके लौट रहे थे। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी जंगल में छिप गया, लेकिन ग्रामीणों की सतर्कता और पुलिस की तत्परता से उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
🔴 रिश्तेदार के न्योते से लौटते समय हुआ विवाद
पुलिस के अनुसार, छतौना गांव के रगरापारा निवासी पंचराम सौता (40) एक किसान है। वह रविवार की रात अपनी पत्नी रातबाई सौता के साथ एक रिश्तेदार के यहां न्योता (भोज) में गया था। भोजन के बाद दोनों जंगल के रास्ते से घर लौट रहे थे। लेकिन अगले दिन सुबह तक वे घर नहीं पहुंचे।
🔴 ग्रामीणों ने जंगल में देखी महिला की लाश
सोमवार सुबह गांव वालों ने जंगल में खून से सनी रातबाई की लाश देखी। महिला की पहचान होते ही उसके मायके पक्ष और पुलिस को सूचना दी गई। बेलगहना चौकी प्रभारी एसआई राज सिंह के नेतृत्व में पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पंचनामा और पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
🔴 हत्या के बाद जंगल में छिपा आरोपी पति
जांच के दौरान पता चला कि पंचराम अपनी पत्नी पर चरित्र को लेकर लगातार शक करता था। पहले भी दोनों के बीच कई बार विवाद हो चुके थे। मृतका की मां दशमत बाई ने बताया कि इसी कारण कुछ समय पहले रातबाई मायके मझवानी में भी रह चुकी थी। स्वजनों ने बीच-बचाव कर पंचराम को समझाया था और दोनों फिर साथ रहने लगे थे।
पुलिस को प्रारंभिक तौर पर पंचराम पर संदेह हुआ और तलाशी अभियान शुरू किया गया। कुछ ही घंटों में पंचराम घर के पीछे जंगल में छिपा हुआ मिला। गिरफ्तारी के बाद जब उससे पूछताछ की गई, तो उसने हत्या की बात कबूल कर ली। उसने बताया कि घर लौटते समय जंगल में चरित्र को लेकर विवाद हुआ, जिससे क्रोधित होकर उसने डंडे और ईंट से पत्नी की हत्या कर दी।
🔴 हत्या में प्रयुक्त हथियार बरामद
पुलिस ने पंचराम की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त डंडा बरामद कर लिया है। आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
📝 सामाजिक संदेश और चिंतन
यह घटना सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं, बल्कि गंभीर सामाजिक बीमारी को उजागर करती है—स्त्री के चरित्र पर शंका, जो कई बार घातक रूप ले लेती है। यह भी दिखाता है कि घरेलू हिंसा और मानसिक असुरक्षा किस हद तक बढ़ चुकी है।
ऐसे मामलों में समाज और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी बनती है कि वे समय रहते मनोवैज्ञानिक परामर्श, वैवाहिक काउंसलिंग और महिला सुरक्षा के लिए कदम उठाएं, ताकि ऐसी त्रासदी दोहराई न जाए।
