नई दिल्ली, जून 2025
भारत सरकार ने सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty – IWT) को अस्थायी रूप से स्थगित करने के अपने निर्णय के बाद वर्ल्ड बैंक द्वारा नियुक्त तटस्थ विशेषज्ञ मिशेल लीनो (Michel Lino) को पत्र लिखकर रतले और किशनगंगा जलविद्युत परियोजनाओं से संबंधित विवादों की कार्यवाही को रोकने का आग्रह किया है।
लीनो, जो एक फ्रांसीसी बांध इंजीनियर हैं और हाल ही में इंटरनेशनल कमीशन ऑन लार्ज डैम्स के अध्यक्ष रह चुके हैं, को वर्ल्ड बैंक ने 13 अक्टूबर 2022 को अनुच्छेद IX और परिशिष्ट F के तहत नियुक्त किया था। उनका कार्य है यह तय करना कि भारत द्वारा बनाए जा रहे ये प्रोजेक्ट्स संधि की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं या नहीं। पाकिस्तान का आरोप है कि इन परियोजनाओं में न्यूनतम जल प्रवाह संबंधी प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा है।
पाकिस्तान ने भारत के अनुरोध का किया विरोध
भारत के अनुरोध के बाद मिशेल लीनो ने पाकिस्तान से इस पर प्रतिक्रिया मांगी थी, जिसे इस्लामाबाद ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। पाकिस्तान इस विवाद निवारण प्रक्रिया को स्थगित करने का विरोध कर रहा है।
2025 की कार्य योजना पर भारत का रुख
भारत ने अब वर्ल्ड बैंक को सूचित किया है कि वह 2025 की पूर्व निर्धारित कार्य योजना को रद्द करना चाहता है। इसके तहत पाकिस्तान को 7 अगस्त तक अपनी काउंटर मेमोरियल (प्रतिक्रिया) सौंपनी थी, और 17 से 22 नवंबर तक दोनों पक्षों के साथ चौथी बैठक प्रस्तावित थी। इसमें भारत की ओर से लिखित दलीलें पेश की जातीं और पाकिस्तान की आपत्तियों पर विशेषज्ञ प्रश्न पूछते।
इसके बाद दिसंबर में विवादित स्थलों की दूसरी बार साइट विज़िट की योजना भी थी।
भारत-पाकिस्तान के बीच प्रत्यक्ष पत्राचार
हालांकि दोनों देश तटस्थ विशेषज्ञ के माध्यम से संवाद कर रहे हैं, लेकिन शीर्ष सरकारी सूत्रों के अनुसार भारत और पाकिस्तान के बीच कम से कम एक बार प्रत्यक्ष पत्राचार भी हुआ है। भारत ने 24 अप्रैल को एक पत्र के माध्यम से पाकिस्तान को संधि को स्थगित करने की जानकारी दी थी। इसके जवाब में पाकिस्तान ने मई में बातचीत की पेशकश की थी, जिस पर भारत की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।
सिंधु जल को भारत में मोड़ने की योजना
सरकारी सूत्रों के अनुसार भारत सरकार ने सिंधु नदी प्रणाली से जल को भारत के विभिन्न राज्यों में मोड़ने के लिए एक नहर निर्माण योजना बनाई है। साथ ही जम्मू-कश्मीर के चिनाब नदी पर स्थित बगलीहार (2008-09) और सलाल (1987) परियोजनाओं में पहली बार फ्लशिंग ऑपरेशन किए गए हैं, ताकि बिजली उत्पादन में बाधा बन रही गाद को हटाया जा सके। पाकिस्तान ने पहले IWT के तहत इन गतिविधियों पर आपत्ति जताई थी, लेकिन अब भारत ने तय किया है कि ये फ्लशिंग हर महीने नियमित रूप से की जाएगी।
निष्कर्ष
भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवाद वर्षों से चले आ रहे हैं, लेकिन अब भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह नहीं छोड़ता, तब तक सिंधु जल संधि पर कोई सहयोग या वार्ता नहीं होगी। मिशेल लीनो को अब यह तय करना है कि विवाद की कार्यवाही आगे बढ़ेगी या भारत के अनुरोध पर उसे रोका जाएगा।
