आंध्र प्रदेश की डंगेटी जाह्नवी 2029 में अंतरिक्ष यात्रा पर जाएंगी, बनीं पहली भारतीय

पलकोल्लू ,24 जून 2025
आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले की डंगेटी जाह्नवी ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत का नाम रोशन किया है। पलकोल्लू की रहने वाली जाह्नवी अब 2029 में अमेरिका के Titan’s Orbital Port Space Station की ओर अंतरिक्ष यात्रा करने जा रही हैं। वह इस ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा बनने वाली पहली भारतीय होंगी।

जाह्नवी ने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, पंजाब से पूरी की थी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पलकोल्लू में हुई। उनके माता-पिता, श्रीनिवास और पद्मश्री, वर्तमान में काम के सिलसिले में कुवैत में रहते हैं।

नासा के प्रतिष्ठित कार्यक्रम में सफलता
जाह्नवी नासा के इंटरनेशनल एयर एंड स्पेस प्रोग्राम को सफलतापूर्वक पूरा करने वाली पहली भारतीय हैं। यह उपलब्धि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के साथ-साथ अंतरिक्ष मिशन में चयन का द्वार भी खोल गई।

STEM शिक्षा और स्पेस आउटरीच की सशक्त प्रतिनिधि
जाह्नवी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स (STEM) शिक्षा को लेकर बेहद सक्रिय रही हैं। उन्होंने इसरो के शैक्षणिक कार्यक्रमों में व्याख्यान दिए हैं और देशभर के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (NITs) में विद्यार्थियों को संबोधित किया है।

इसके अलावा, वह एनालॉग मिशन, डीप सी डाइविंग और लॉन्ग ड्यूरेशन स्पेस ट्रैवल से संबंधित वैश्विक सम्मेलनों में भी भाग लेती रही हैं।

उपग्रह खोज और वैज्ञानिक अनुसंधान में योगदान
जाह्नवी का योगदान International Astronomical Search Collaboration में भी रहा, जहां उन्होंने Pan-STARRS डेटा के आधार पर एक क्षुद्रग्रह (asteroid) की खोज की, जिसे बाद में provisional asteroid discovery के रूप में मान्यता मिली।

स्पेस आइसलैंड और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार
जाह्नवी स्पेस आइसलैंड की जियोलॉजी ट्रेनिंग में चुने जाने वाली पहली भारतीय बनीं और साथ ही सबसे कम उम्र की विदेशी analog astronaut भी रहीं।

उन्हें अब तक कई पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें शामिल हैं:

  • NASA Space Apps Challenge का People’s Choice Award
  • ISRO World Space Week का Young Achiever Award

निष्कर्ष
डंगेटी जाह्नवी भारत की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं। उनका संघर्ष, समर्पण और विज्ञान के प्रति जुनून यह साबित करता है कि सीमित संसाधनों में भी वैश्विक स्तर की उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। 2029 की उनकी अंतरिक्ष यात्रा भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा।