हॉर्मुज जलडमरूमध्य पर ईरान के खतरे से कच्चे तेल की कीमतों में उबाल, भारतीय शेयर बाजार पर दिखा असर

नई दिल्ली, 23 जून 2025:
ईरान द्वारा हॉर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी ने वैश्विक शेयर बाजारों के साथ-साथ भारतीय शेयर बाजार में भी हलचल मचा दी है। यह जलडमरूमध्य वैश्विक कच्चे तेल की लगभग 20% आपूर्ति को नियंत्रित करता है। ऐसे में इसके बंद होने की आशंका ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है और कच्चे तेल पर निर्भर क्षेत्रों के शेयरों पर नकारात्मक असर दिखने लगा है।

📉 किन सेक्टर्स पर दिखा सबसे ज़्यादा असर?

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि भू-राजनीतिक तनाव के चलते कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि होती है, तो इससे कच्चा तेल उपयोग करने वाले सेक्टर्स को नुकसान होगा, जबकि उत्पादक क्षेत्रों को लाभ हो सकता है।

1️⃣ तेल विपणन कंपनियां (OMCs):

HPCL, BPCL और IOC जैसी कंपनियां सीधे कच्चे तेल की कीमतों से जुड़ी होती हैं। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने पर इनके मार्जिन पर प्रतिकूल असर पड़ता है क्योंकि वे हर बार लागत बढ़ोतरी का पूरा बोझ ग्राहकों पर नहीं डाल पातीं।

2️⃣ एविएशन सेक्टर:

फ्यूल कॉस्ट एयरलाइनों की कुल लागत का 20-30% तक होता है। अंतरराष्ट्रीय हवाई मार्गों पर हवाई क्षेत्र बंद होने से परिचालन लागत पहले ही बढ़ चुकी है। अब तेल महंगा होने से Indigo, SpiceJet, Jet Airways, Global Vectra जैसी कंपनियों को अतिरिक्त मार झेलनी पड़ सकती है।

3️⃣ पेंट उद्योग:

पेंट कंपनियों जैसे Asian Paints, Berger Paints, Kansai Nerolac के लिए कच्चे तेल से प्राप्त सॉल्वेंट्स, रेज़िन और अन्य डेरिवेटिव्स मुख्य कच्चे माल हैं। इनकी लागत 55-60% तक होती है। तेल महंगा होने से इन कंपनियों की लागत में भारी इजाफा हो सकता है।

4️⃣ ऑटोमोबाइल सेक्टर:

कार निर्माण में प्लास्टिक, टायर, पेंट जैसे पेट्रो-उत्पादों का उपयोग होता है। तेल की कीमतें बढ़ने से न केवल निर्माण लागत बढ़ेगी, बल्कि मांग में भी गिरावट आ सकती है। Maruti Suzuki, Tata Motors, M&M, Bajaj Auto, Eicher Motors जैसे स्टॉक्स पर दबाव देखने को मिल सकता है।

5️⃣ रासायनिक, पेट्रोकेमिकल और उर्वरक उद्योग:

ये सेक्टर कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस पर बहुत अधिक निर्भर हैं। पेट्रोकेमिकल डेरिवेटिव्स जैसे बेंजीन, एथिलीन, प्रोपिलीन आदि रासायनिक उत्पादों में प्रयोग होते हैं। उर्वरकों में प्राकृतिक गैस और सल्फर जैसी सामग्री इस्तेमाल होती है। Chambal Fertilisers, GSFC, RCF, Deepak Nitrite, SRF, Tata Chemicals, Vinati Organics, Supreme Petrochem जैसी कंपनियों पर इसका व्यापक असर हो सकता है।

🗣 विशेषज्ञों की राय:

दीपक जसानी (स्वतंत्र विश्लेषक) ने कहा,

“तेल महंगा होते ही तेल-उपयोगी सेक्टरों को सीधा नुकसान होगा।”

अंबरीश बालिगा (मार्केट एक्सपर्ट) ने कहा,

“ईरान के कदम से न केवल तेल आपूर्ति बाधित होगी, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर भी असर पड़ेगा। इससे व्यापारिक भावनाएं मंद होंगी।”

🌐 निष्कर्ष:

ईरान-हॉर्मुज संकट केवल कच्चे तेल की कीमतों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार, भारतीय उद्योगों और निवेशकों के विश्वास को भी प्रभावित कर सकता है। आने वाले दिनों में निवेशकों को तेल की कीमतों और भू-राजनीतिक घटनाक्रम पर पैनी नजर रखनी होगी।