छत्तीसगढ़ में शिक्षक स्थानांतरण नीति पर सियासी घमासान, कांग्रेस का सरकार पर हमला

रायपुर, 22 जून — छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की शिक्षक समानीकरण नीति को लेकर सियासी बवाल तेज हो गया है। कांग्रेस विधायक एवं एआईसीसी सचिव देवेंद्र यादव ने इस नीति को शिक्षा विरोधी और रोजगार विरोधी बताते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला है।

इंदिरा भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में यादव ने आरोप लगाया कि इस नीति के जरिए राज्य सरकार 45,000 से अधिक शिक्षकीय पद समाप्त करने और 10,463 स्कूलों को बंद करने की योजना बना रही है, जिससे बस्तर, सरगुजा और जशपुर जैसे आदिवासी क्षेत्रों पर सबसे अधिक असर पड़ेगा।

उन्होंने बताया कि प्राथमिक विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात को 21:1 से बढ़ाकर 30:1 और माध्यमिक स्कूलों में 26:1 से 35:1 कर देने से एक तिहाई से अधिक पद स्वतः समाप्त हो जाएंगे।

यादव ने यह भी चेताया कि शिक्षकों पर अत्यधिक कार्यभार डाला जा रहा है, जहां मात्र दो शिक्षकों को 18 विषयों के साथ-साथ गैर-शिक्षकीय कार्य भी संभालने होंगे।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि यह निर्णय बिना किसी शिक्षक संघ, पालक संघ और शिक्षा विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा किए बिना लिया गया है।

उन्होंने चेतावनी दी कि इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी, बल्कि मिड-डे मील कार्यकर्ताओं, रसोइयों और स्कूल सहयोगी कर्मचारियों की आजीविका भी खतरे में पड़ जाएगी।

देवेंद्र यादव ने बताया कि कांग्रेस 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी, जिसकी रूपरेखा जल्द ही घोषित की जाएगी।

सरकार का पक्ष:
छत्तीसगढ़ सरकार ने इस नीति को शिक्षकों की तैनाती में असंतुलन सुधारने का प्रयास बताया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 5,500 से अधिक स्कूल एकल शिक्षक आधारित हैं, जबकि कई स्कूलों में अतिरिक्त स्टाफ है।

सरकार का दावा है कि नीति लागू होने से अब तक 80 प्रतिशत एकल शिक्षक स्कूलों की संख्या घटाई जा चुकी है और वंचित क्षेत्रों में शिक्षकों की तैनाती बेहतर हुई है।

मुख्यमंत्री विश्णु देव साय ने कहा कि सरकार का लक्ष्य राज्य के दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की समान पहुंच सुनिश्चित करना है।

इस बीच, शिक्षक संघों का विरोध लगातार तेज हो रहा है। शिक्षक काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन कर रहे हैं और अभिभावकों को भी इस नीति के खिलाफ लामबंद कर रहे हैं।