दंतेवाड़ा में डिजिटल अरेस्ट के जरिए एनएमडीसी कर्मचारी से 28 लाख की ठगी, तीन आरोपी गिरफ्तार

दंतेवाड़ा, 21 जून 2025।
डिजिटल ठगी के मामलों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के बीच छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां किरंदुल में कार्यरत एनएमडीसी के एक कर्मचारी को ठगों ने डिजिटल अरेस्ट के जाल में फंसा कर 28 लाख रुपये की ठगी कर ली। हालांकि पुलिस की त्वरित कार्रवाई के चलते इस मामले में गुजरात से तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर फंसाया जाल

किरंदुल थाना प्रभारी विमल रॉय ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि पीड़ित एनएमडीसी कर्मचारी को 30 मई को व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से एक अज्ञात व्यक्ति ने संपर्क किया। कॉल करने वाले ने दावा किया कि मुंबई में उसके नाम से एक बैंक खाता खोला गया है, जिसमें अवैध लेन-देन हुआ है। इसके चलते मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया है और एफआईआर भी हो चुकी है।

इसके बाद एक अन्य व्यक्ति ने खुद को वरिष्ठ अधिकारी बताते हुए पीड़ित को इस मामले को “सेटल” करने के लिए 28 लाख रुपये ट्रांसफर करने को मजबूर किया। भयभीत होकर पीड़ित ने दी गई जानकारी पर विश्वास करते हुए उक्त राशि ट्रांसफर कर दी।

साइबर फॉरेंसिक से आरोपियों की पहचान

कुछ समय बाद पीड़ित को धोखाधड़ी का अंदेशा हुआ, और उसने किरंदुल थाना में शिकायत दर्ज करवाई। प्रकरण को अपराध क्रमांक 28/2025, धारा 318(4) बीएनएस एवं आईटी एक्ट की धारा 66 (डी) के अंतर्गत दर्ज किया गया।

शिकायत मिलते ही पुलिस ने दंतेवाड़ा साइबर तकनीकी शाखा के नोडल अधिकारी ठाकुर गौरव सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की। टीम ने फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन एनालिसिस और साइबर फॉरेंसिक टूल्स का उपयोग कर ठगों की लोकेशन का पता लगाया और उन्हें गुजरात के जामनगर से गिरफ्तार कर लिया।

तीन आरोपियों की गिरफ्तारी, और भी होंगे गिरफ्तार

गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम हैं:

  • आफताब समा
  • किशन वाढेर
  • पारिया अजय

पुलिस ने आरोपियों को स्थानीय न्यायालय में प्रस्तुत कर जेल भेज दिया है। जांच के दौरान आरोपियों के बैंक खातों में जमा राशि को जब्त कर लिया गया है। साथ ही मामले में संलिप्त अन्य आरोपियों की तलाश के लिए एक और टीम रवाना की गई है।

पुलिस की चेतावनी और अपील

पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि इस प्रकार के किसी भी डिजिटल कॉल या मैसेज से डरकर कोई आर्थिक लेन-देन न करें और तुरंत स्थानीय थाने या साइबर सेल को सूचित करें। इस मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि साइबर अपराधी किस तरह नई तकनीकों का दुरुपयोग कर आम जनता को निशाना बना रहे हैं।