दुर्ग, 20 जून 2025।
सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर आज दुर्ग कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में जनसूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी शामिल हुए। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अधिकारियों को आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों, प्रक्रियाओं और दायित्वों की जानकारी देना और सूचना पारदर्शिता को और सशक्त बनाना रहा।
आरटीआई अधिनियम की बारीकियों पर विशेष चर्चा
कार्यशाला में छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग की अवर सचिव श्रीमती गीता दीवान और अनुभाग अधिकारी श्री अतुल वर्मा ने उपस्थित अधिकारियों को सूचना के अधिकार अधिनियम की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जनसूचना अधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वे प्राप्त आवेदन का निराकरण 30 दिवस के भीतर करें। यदि आवेदन सहायक जनसूचना अधिकारी के पास आता है, तो 5 दिन की अतिरिक्त अवधि दी जाती है।
श्रीमती दीवान ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि निर्धारित समयसीमा में आवेदन का निराकरण नहीं होता है, तो वह स्वतः ही अन्य फोल्डर में स्थानांतरित हो जाएगा, जिससे आवेदक को द्वितीय अपील का अधिकार प्राप्त हो जाएगा।
पोर्टल संचालन और शुल्क प्रक्रिया पर जानकारी
राज्य सूचना आयोग के अधिकारियों ने आरटीआई पोर्टल संचालन की प्रक्रिया पर भी प्रशिक्षण दिया। अधिकारियों को बताया गया कि कार्यभार ग्रहण अथवा मुक्त होने पर संबंधित अधिकारी को हस्ताक्षरयुक्त पत्र पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त सूचना के लिए दस्तावेजी शुल्क की ऑनलाइन मांग, तथा सूचना की अपलोडिंग प्रक्रिया को भी विस्तार से समझाया गया।
व्यक्तिगत सूचना से संबंधित विशेष प्रावधान
कार्यशाला में यह भी स्पष्ट किया गया कि व्यक्तिगत जानकारी संबंधित आवेदन प्राप्त होने पर धारा-8 के तहत सूचना की संवेदनशीलता और गोपनीयता की जांच जरूरी है। यदि जानकारी पूरी तरह से व्यक्तिगत पाई जाती है, तो धारा-11(1) के अंतर्गत संबंधित व्यक्ति की सहमति/असहमति प्राप्त की जा सकती है।
प्रथम अपीलीय अधिकारियों के लिए दिशानिर्देश
प्रथम अपीलीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे प्रथम अपील का निराकरण 30 दिनों के भीतर करें। विशेष परिस्थितियों में यह अवधि 45 दिनों तक बढ़ाई जा सकती है। साथ ही यदि अपीलकर्ता द्वारा दस्तावेजी शुल्क जमा नहीं किया गया हो, तो अपील के परीक्षण के पश्चात शुल्क सहित अथवा निःशुल्क सूचना देने का आदेश दिया जा सकता है।
अधिकारियों की भागीदारी और संवाद
प्रशिक्षण कार्यशाला में संयुक्त कलेक्टर श्री हरवंश सिंह मिरी, डिप्टी कलेक्टर श्री हितेश पिस्दा, श्री महेश राजपूत सहित जिले के विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यशाला में अधिकारियों ने अपनी शंकाओं और व्यवहारिक समस्याओं को सामने रखा, जिनका समाधान विशेषज्ञों द्वारा किया गया।
इस संवादात्मक प्रशिक्षण के माध्यम से सभी अधिकारियों को सूचना के अधिकार अधिनियम की व्यावहारिक उपयोगिता और कानूनी पहलुओं की गहन जानकारी प्राप्त हुई।
निष्कर्ष:
इस प्रकार की कार्यशालाएं न केवल अधिकारियों की कौशल वृद्धि में सहायक होती हैं, बल्कि लोक प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और जनविश्वास को भी सुदृढ़ करती हैं। दुर्ग जिले में आयोजित यह आरटीआई कार्यशाला सरकार की पारदर्शी शासन व्यवस्था की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
