दुर्ग के उतई प्राथमिक शाला में शिक्षकों की पुनः पदस्थापना से लौटी शिक्षा की रौनक, विद्यार्थियों में दिखा जोश

दुर्ग, 19 जून 2025:
दुर्ग विकासखण्ड की शासकीय प्राथमिक शाला उतई में लंबे समय से शिक्षकों की कमी के कारण प्रभावित हो रही शिक्षा व्यवस्था अब पटरी पर लौट आई है। युक्तियुक्तकरण नीति के तहत दो नई शिक्षिकाओं की पदस्थापना से विद्यालय में शैक्षिक वातावरण में हर्ष और उल्लास का संचार हो गया है।


👩‍🏫 शिक्षिकाओं की नियुक्ति से बढ़ी शिक्षक संख्या

विद्यालय में पदस्थ की गईं शिक्षिकाएं हैं:

  • श्रीमती मंदाकिनी वर्मा, पूर्व में नवागांव धमधा की प्राथमिक शाला में कार्यरत थीं।
  • श्रीमती गीता सरकार, पूर्व में झुग्गीपारा दुर्ग की प्राथमिक शाला में कार्यरत थीं।

इनकी पदस्थापना के बाद अब उतई शाला में कुल 6 शिक्षक कार्यरत हैं, और छात्र संख्या 171 है। इससे अब कक्षाएं नियमित हो सकेंगी और बच्चों को सभी विषयों में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों से मार्गदर्शन मिल पाएगा।


🎉 शाला उत्सव में हुआ शिक्षकों का स्वागत

नवपदस्थ शिक्षकों के स्वागत में विद्यालय में शाला उत्सव आयोजित किया गया, जहां विद्यार्थियों ने तिलक लगाकर शिक्षकों का अभिनंदन किया। इससे शिक्षकों और छात्रों के बीच एक सजीव, सकारात्मक रिश्ता विकसित हुआ।


📈 शिक्षा की गुणवत्ता में आया सुधार

पूर्व में विद्यालय में एकल शिक्षक द्वारा बहुविषयक पढ़ाई कराई जा रही थी, जिससे बच्चों को विशेषज्ञता आधारित मार्गदर्शन नहीं मिल पाता था। अब, विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति से

  • कक्षा नियमित हो गई हैं,
  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है,
  • और छात्रों की विषयों पर समझ और परिणाम दोनों बेहतर हुए हैं।

🗣️ शिक्षिकाओं की प्रतिक्रिया

श्रीमती मंदाकिनी वर्मा ने कहा:

“ज्ञान बाँटने से बढ़ता है और शिक्षक वह माध्यम है जो बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन देते हैं। युक्तियुक्तकरण जैसे नवाचारों से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार संभव हुआ है।”


🌱 युक्तियुक्तकरण बना शिक्षा सुधार का सशक्त माध्यम

युक्तियुक्तकरण नीति के माध्यम से न केवल शिक्षकों की उचित तैनाती सुनिश्चित हुई है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को भी सुदृढ़ किया जा रहा है। यह पहल विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने की दिशा में एक प्रभावी कदम के रूप में देखा जा रहा है।


📌 निष्कर्ष

दुर्ग के उतई शाला में शिक्षकों की पुनः पदस्थापना ने यह सिद्ध किया है कि सही नीति और इच्छाशक्ति से शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार संभव है। बच्चों को अब गुणवत्तापूर्ण और विशेषज्ञ आधारित शिक्षा मिल रही है, जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल और सुनहरा बन सकेगा।