पत्रकारों के सवाल पर कार्रवाई! देवेंद्र गुप्ता ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप, सोशल मीडिया पर जताई नाराज़गी

रायपुर, 19 जून 2025:
छत्तीसगढ़ में एक बार फिर पत्रकारिता की स्वतंत्रता और सरकार की जवाबदेही को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र गुप्ता ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य विभाग पर निशाना साधते हुए कहा है कि “इतिहास गवाह है, पत्रकारों के खिलाफ नीति सत्ता का काल बन गई है।”

गुप्ता का आरोप है कि मुख्यमंत्री द्वारा जारी आदेशों और उनके प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर जब उन्होंने सवाल उठाया, तो उन्हें सरकार की नाराजगी का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि पत्रकारों के सवालों से घबराकर मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।


📌 मामला क्या है?

पत्रकार देवेंद्र गुप्ता के अनुसार, उन्होंने अस्पतालों की मीडिया कवरेज पर प्रतिबंध संबंधी स्वास्थ्य विभाग के आदेश पर सवाल उठाया था। इस पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्पष्ट निर्देश जारी कर स्वास्थ्य विभाग को आदेश रद्द करने को कहा था। लेकिन गुप्ता ने दावा किया कि जब उन्होंने यह आदेश संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों को दिखाया, तो उन्हें गंभीर नाराजगी का सामना करना पड़ा।


🚨 क्या कहा पत्रकार ने?

देवेंद्र गुप्ता ने कहा:

“पत्रकारों से सवाल पूछना अपराध और सत्ता विरोधी हो गया है। मैंने केवल जनता के हित में मीडिया पर पाबंदी लगाने वाले आदेश को लेकर पूछताछ की थी, न कि कोई अपमानजनक टिप्पणी की।”

उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री के साथ-साथ अन्य अधिकारियों को भी इस विषय में जानकारी दी थी, लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।


🛑 लोकतंत्र पर खतरा?

पत्रकार गुप्ता ने अपनी पोस्ट में लोकतंत्र और प्रेस की आज़ादी पर सीधा सवाल उठाते हुए कहा कि यदि पत्रकार सरकार से जवाब नहीं मांग सकता, तो लोकतंत्र का क्या अर्थ रह जाएगा? उन्होंने लिखा:

“सत्ता के इशारे पर यदि पत्रकारों पर कार्रवाई हो तो यह लोकतंत्र नहीं, तानाशाही का संकेत है।”


🧾 पत्रकारों को एकजुट होने की अपील

देवेंद्र गुप्ता ने अंत में सभी पत्रकारों से अपील की कि वे ऐसे मामलों में एकजुट होकर आवाज़ उठाएं, ताकि पत्रकारिता की गरिमा बनी रहे। उन्होंने कहा कि यह केवल व्यक्तिगत लड़ाई नहीं, बल्कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता और जवाबदेही की रक्षा का मुद्दा है।


📌 निष्कर्ष

यह मामला स्पष्ट करता है कि छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता और सत्ता के बीच संबंधों को लेकर तनाव की स्थिति है। यदि पत्रकारों की आवाज़ को दबाने की कोशिश की जाती है, तो यह न केवल प्रेस की स्वतंत्रता, बल्कि लोकतंत्र के मूल मूल्यों पर भी प्रश्नचिह्न है। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या स्वतंत्र पत्रकारिता की रक्षा के लिए कोई कदम उठाया जाएगा।