रायपुर, 18 जून 2025:
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले ने मत्स्य पालन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। अब यह जिला न केवल राज्य के भीतर बल्कि देश के कई अन्य राज्यों को भी गुणवत्तायुक्त मत्स्य बीज की आपूर्ति कर रहा है। खास तौर पर कोयलीबेडा विकासखंड के पखांजूर क्षेत्र ने इस बदलाव की अगुवाई की है, जहां नीली क्रांति को जमीनी स्तर पर उतारने में किसानों ने सफलता हासिल की है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कांकेर की इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा:
“यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ की आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दिशा में एक मजबूत कदम है। राज्य सरकार मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करने के लिए हरसंभव सहयोग देती रहेगी।”
बाहरी निर्भरता से आत्मनिर्भरता की ओर
कुछ वर्ष पहले तक कांकेर जिले को पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश से मत्स्य बीज मंगवाना पड़ता था। लेकिन आज पखांजूर क्षेत्र में 34 से अधिक हैचरियों के माध्यम से इतना बीज तैयार हो रहा है कि जिले से अब अन्य राज्यों को भी निर्यात किया जा रहा है।
इनमें आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड, गुजरात और बिहार प्रमुख हैं। खास बात यह है कि यहां का बीज सस्ता, उच्च गुणवत्ता युक्त और प्रारंभिक सीजन (अप्रैल–मई) में ही उपलब्ध हो जाता है, जिससे किसानों को फायदा होता है।
मत्स्य विभाग की योजना और उपलब्धि
मत्स्य विभाग के सहायक संचालक के अनुसार:
- 34 मत्स्य बीज हैचरियां जिले में सक्रिय हैं।
- वर्ष 2025-26 का लक्ष्य:
- 337 करोड़ स्पॉन
- 128.35 करोड़ स्टैंडर्ड फ्राय
- अब तक का उत्पादन:
- 192 करोड़ स्पॉन
- 7.42 करोड़ स्टैंडर्ड फ्राय
यहां मेजर कार्प के साथ-साथ पंगेसियस मछली का भी बीज तैयार किया जा रहा है।
स्थानीय रोजगार और ग्रामीण समृद्धि
इस क्रांति से लगभग 550 स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है।
बीज उत्पादन, पैकेजिंग, परिवहन और बिक्री से स्थायी आय का स्रोत बना है। मत्स्य कृषक श्री विश्वजीत अधिकारी और श्री मृणाल बराई के अनुसार,
“प्रत्येक दिन 10 से 15 पिकअप वाहन पखांजूर से बीज लेकर राज्य और देशभर के अलग-अलग जिलों में रवाना होते हैं।”
सरकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन
इस सफलता का श्रेय नीली क्रांति योजना और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के सार्थक क्रियान्वयन को जाता है। इन योजनाओं की मदद से तालाबों और हैचरियों का निर्माण, सब्सिडी पर उपकरण और तकनीकी सहयोग मिला है।
निष्कर्ष
कांकेर जिले, विशेषकर पखांजूर क्षेत्र ने छत्तीसगढ़ को न केवल मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि देशभर में राज्य की एक नयी पहचान स्थापित की है। मुख्यमंत्री द्वारा सराहना और विभाग की योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन आने वाले समय में इस मॉडल को राज्य के अन्य जिलों में भी दोहराए जाने की संभावना को मजबूत करता है।
