युक्तियुक्तकरण के खिलाफ गरजा बस्तर: सर्व आदिवासी समाज ने चेताया – 15 दिन में नहीं मानी मांग तो होगी सड़क की लड़ाई

छत्तीसगढ़ में युक्तियुक्तकरण (Rationalization) नीति को लेकर विरोध तेज हो गया है। बस्तर संभाग में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सर्व आदिवासी समाज, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग संयुक्त रूप से सड़कों पर उतर आया है। बुधवार को कृषि मंडी प्रांगण में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर सरकार को ज्ञापन सौंपा गया और चेतावनी दी गई कि यदि 15 दिनों के भीतर पुरानी व्यवस्था बहाल नहीं की गई, तो प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।

सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कहा कि “बस्तर की प्राथमिक शिक्षा पूरी तरह चरमराई हुई है। सरकार शिक्षक हटाने की नीति अपना रही है, जबकि ग्रामीण स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी है। एक-एक शिक्षक से कैसे बच्चों का भविष्य संवरेगा?”

उन्होंने बताया कि शिक्षकों से पढ़ाई के बजाय प्रशासनिक काम लिए जा रहे हैं, जैसे कि “कुत्ता-बिल्ली की गिनती”। समाज की मांग है कि 2008 की 1-4 शिक्षकों की व्यवस्था को लागू रखा जाए, और मातृभाषा आधारित शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए, जिसमें गोंडी, हल्बी, भतरी जैसी भाषाओं के लिए शिक्षक नियुक्त किए जाएं।

ओबीसी समाज के संभागीय अध्यक्ष दिनेश यदु ने स्पष्ट किया कि तीनों वर्ग एकजुट हैं और अगर सरकार ने जल्द निर्णय नहीं लिया तो “सड़क की लड़ाई” शुरू की जाएगी।

पूर्व मंत्री व आदिवासी नेता लखेश्वर कश्यप ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “मूल निवासी शिक्षित वर्ग का प्रतिशत 37% से घटाने का प्रयास किया जा रहा है। स्कूलों की जगह शराब की दुकानें खोली जा रही हैं ताकि लोग मस्त रहें और पढ़ाई से दूर रहें।”

उन्होंने कहा कि शिक्षक ही समाज का आधार हैं, इन्हें हटाकर शिक्षा व्यवस्था को कमजोर किया जा रहा है। आदिवासी समाज ने सरकार को 15 दिन की मोहलत दी है – इसके बाद आंदोलन को और तेज किया जाएगा।