माओवाद से उजाले की ओर: छत्तीसगढ़ का मुदवेंडी गांव बना बदलाव की नई पहचान

रायपुर, 11 जून 2025।
बीजापुर जिले का छोटा सा गांव मुदवेंडी, जो कभी माओवाद की छाया में जीता था, आज विकास और सुशासन की नई कहानी लिख रहा है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की “नियद नेल्लानार योजना” ने इस सुदूर आदिवासी गांव में न सिर्फ बिजली, सड़क और शुद्ध पेयजल पहुंचाया है, बल्कि सपनों और आत्मविश्वास की रोशनी भी बिखेरी है।


🌟 बदलाव की नई सुबह

मात्र 45 परिवारों वाले इस गांव में आज बिजली की रौशनी है, रात में बच्चों की पढ़ाई हो रही है, महिलाएं घर के कामों को आसानी से निपटा रही हैं और जंगली जानवरों का डर अब अतीत की बात बन चुका है। ग्रामीण हुंरा कुंजाम कहते हैं, “पहले जहां अंधेरा ही जीवन था, अब उजाले ने हमारे बच्चों के भविष्य को रोशन कर दिया है।”


🏫 स्कूल फिर से चालू, शिक्षा बनी सशक्त माध्यम

नियद नेल्लानार योजना के तहत वर्षों से बंद पड़ा गांव का स्कूल दोबारा खुल चुका है। अब गांव के बच्चों को शिक्षा के लिए दूर नहीं जाना पड़ता। एक पीढ़ी बाद गांव में स्कूल की घंटी फिर गूंजी है, जिससे ग्रामीणों में उल्लास का माहौल है।


🎉 लखमा कुंजाम बोले – “यह त्योहार से कम नहीं”

गांव के बुजुर्ग लखमा कुंजाम कहते हैं, “बिजली आने के बाद गांव में मानो त्योहार मनाया जा रहा है। रात्रि में सुरक्षा का भाव भी बढ़ा है और विकास का भरोसा भी।”


🚀 नियद नेल्लानार योजना: आशा की नई परिभाषा

मुख्यमंत्री साय द्वारा माओवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए शुरू की गई यह योजना केवल ढांचागत विकास तक सीमित नहीं है। यह आत्मनिर्भरता, शिक्षा, सुरक्षा और भरोसे का रोडमैप बन चुकी है। मुदवेंडी अब उदाहरण बन गया है कि अगर नीति और नीयत सशक्त हो, तो सबसे पिछड़ा क्षेत्र भी आगे बढ़ सकता है।


सुशासन की रोशनी से दमकता मुदवेंडी

आज मुदवेंडी केवल एक गांव नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है कि अंधेरे को पीछे छोड़ उजाले की ओर कैसे बढ़ा जा सकता है। यह कहानी बताती है कि विकास तब होता है जब सरकार ग्राउंड ज़ीरो पर जाकर बदलाव लाती है।