आयोग की सख्ती: महिला उत्पीड़न मामलों पर कड़ी कार्रवाई, झूठे आरोपों को किया नस्तीबद्ध

दुर्ग, 10 जून 2025। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और सदस्य श्रीमती ओजस्वी मंडावी ने आज दुर्ग जिले में महिला उत्पीड़न से जुड़े मामलों की जनसुनवाई की। यह राज्य स्तरीय 322वीं एवं दुर्ग जिले की 12वीं जनसुनवाई थी, जिसमें कुल 30 प्रकरणों की सुनवाई की गई।

जनसुनवाई बालगृह परिसर, पांच बिल्डिंग स्थित महिला एवं बाल विकास कार्यालय में आयोजित की गई। इस दौरान कई गंभीर मामलों पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

गर्भवती पत्नी को घर से निकालने वाले CRPF आरक्षक पर सख्त रुख

एक मामले में CRPF में पदस्थ आरक्षक पर आरोप था कि उसने अपनी गर्भवती पत्नी को घर से निकाल दिया, बच्चे के जन्म के बाद भी कोई संपर्क नहीं किया और महिला के पूरे परिवार को मोबाइल पर ब्लॉक कर दिया। आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया और अगली सुनवाई 25 जून को दंतेवाड़ा कैंप में करने का निर्देश दिया। इसके बाद मामला रायपुर कार्यालय में स्थानांतरित किया जाएगा।

वृद्ध दंपती को झूठे आरोपों से राहत

एक अन्य मामले में 87 और 80 वर्ष के वृद्ध सास-ससुर पर उनकी बहू द्वारा फर्जी शिकायत की गई थी। जांच में सामने आया कि बहू संपत्ति को लेकर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही थी और पूर्व में इस मामले में उच्च न्यायालय से भी पराजित हो चुकी थी। आयोग ने शिकायत को निराधार मानकर नस्तीबद्ध कर दिया।

शिक्षक की लापरवाही पर होगी जांच

एक प्रकरण में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि एक स्कूल शिक्षक केवल महीने में एक बार स्कूल आता है और म्यूजिक टीचर के रूप में बाहर काम करता है। वह स्कूल में अपनी पत्नी को भी साथ लाता था। आयोग ने दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर अगली सुनवाई रायपुर में तय की है और जांच के निर्देश दिए हैं।

नागपुर मामले में गैरहाजिर अनावेदक पर सख्ती

नागपुर से जुड़े एक मामले में पुलिस द्वारा नोटिस तामील कराने के बावजूद अनावेदक सुनवाई में हाजिर नहीं हुआ। आयोग ने निर्देश दिए हैं कि अगली सुनवाई में 14 जुलाई 2025 को रायपुर में पुलिस की उपस्थिति में अनावेदक को अनिवार्य रूप से पेश किया जाए।

आपसी सुलह और निराधार मामलों को किया गया बंद

कुछ मामलों में आपसी सहमति से शिकायतें वापस ली गईं और उन्हें नस्तीबद्ध कर दिया गया। वहीं संपत्ति विवाद, प्लेग्राउंड विवाद, पारिवारिक झगड़े जैसे मामलों को न्यायालयीन प्रकृति का मानते हुए आयोग ने हस्तक्षेप से इनकार किया।

अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने कहा,

“महिला आयोग हर महिला को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन साथ ही झूठे और दुर्भावनापूर्ण आरोपों पर सख्त नजर रखी जा रही है, ताकि आयोग की प्रक्रिया का दुरुपयोग न हो।”