रायपुर, 4 जून 2025 — जन संस्कृति मंच (जसम) की रायपुर इकाई द्वारा सिविल लाइन स्थित वृंदावन हॉल में सोमवार को आयोजित ‘सृजन संवाद’ साहित्यिक आयोजन में शहर के साथ-साथ देशभर के नामचीन कवि, शायर और रचनाकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। कार्यक्रम का उद्देश्य वर्तमान सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश में साहित्य और कला के हस्तक्षेप को सशक्त बनाना था।
आईजी सियाराम शर्मा ने कहा कि सत्ता और व्यवस्था जहां समाज को विभाजित करती हैं, वहीं एक अच्छी कविता समाज को जोड़ने का काम करती है। उन्होंने कहा कि सृजनशीलता के जरिए रचनाकार नफ़रत और बंटवारे की ताकतों से डटकर मुकाबला कर रहे हैं।
वरिष्ठ लेखिका जया जादवानी ने कहा कि रचना तभी याद रखी जाती है जब उसमें स्पष्ट दृष्टिकोण और विशिष्ट शैली हो। उन्होंने लेखन की मूल भावना और उसकी रचनात्मक जिम्मेदारी पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रलेसं के वरिष्ठ लेखक रवि श्रीवास्तव ने की। जसम के वरिष्ठ साथी रज़ा हैदरी ने ‘कालीदास’ पर अपनी चर्चित नज़्म प्रस्तुत की और कहा कि अल्फ़ाज़ को समझने वाला ही दुनिया को खूबसूरत बना सकता है।
कार्यक्रम की शुरुआत युवा कवि वसु गंधर्व के गायन से हुई। कवियित्री नीलिमा मिश्रा, मधु सक्सेना, सनियारा ख़ान, दिलशाद सैफी, सुनीता शुक्ल, मोहम्मद मुसय्यब, रूपेंद्र तिवारी, डॉ. संजू साहू ‘पूनम’, समीर दीवान, आफ़ाक़ अहमद, मौली चक्रवर्ती, सिरिल साइमन, इमरान अब्बास, अजय कुमार शुक्ल, आलिम नकवी, सुखनवर हुसैन रायपुरी और जावेद नदीम नागपुरी जैसे कई रचनाकारों ने अपनी रचनाओं के जरिए सामाजिक, राजनीतिक और मानवीय पहलुओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का संचालन मीसम हैदरी ने किया, जिन्होंने अपनी रचना ‘दो जून की रोटी’ का पाठ कर श्रोताओं को प्रभावित किया। आभार प्रदर्शन जसम रायपुर के सचिव इंद्र कुमार राठौर ने किया।
कार्यक्रम में भिलाई, दुर्ग और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन मौजूद रहे। देर रात तक चले इस आयोजन में साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति अंत तक बनी रही, जो रचना और संवाद के महत्व को दर्शाता है।
