रायपुर, 18 मई 2025
छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत, जनजातीय ज्ञान और पर्यटन स्थलों को नई पहचान देने के लिए अब आईआईटी भिलाई भी सक्रिय भूमिका निभाएगा। इस उद्देश्य से छत्तीसगढ़ शासन के पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय संचालनालय और पर्यटन बोर्ड के साथ आईआईटी भिलाई के बीच एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
इस पहल का मकसद प्रदेश के संरक्षित और असुरक्षित ऐतिहासिक स्थलों का दस्तावेजीकरण, पर्यटन स्थलों का विकास और जनजातीय समुदायों पर गहन शोध करना है।
अनुसंधान केंद्र और परंपरा भवन की स्थापना
आईआईटी भिलाई में एक अंतःविषय अनुसंधान केंद्र, संस्कृति, भाषा और परंपरा केंद्र की स्थापना की जा रही है। इस केंद्र का उद्घाटन छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रामेन डेका द्वारा किया गया। साथ ही छत्तीसगढ़ की धरोहरों पर आधारित पुस्तकालय और संग्रहालय भी तैयार किया जाएगा, जो राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को संजोएगा।
पर्यटन में तकनीकी सहयोग
आईआईटी भिलाई द्वारा विशेष तकनीकी सॉफ्टवेयर विकसित किए जाएंगे, जिससे इतिहासिक स्थलों की डिजिटली संरक्षित जानकारी तैयार की जा सकेगी। इसके अलावा संस्थान पर्यटन स्थलों के उन्नयन की योजनाएं भी तैयार करेगा और छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड के साथ मिलकर नई संभावनाओं वाले पर्यटन स्थलों की पहचान और विकास करेगा।
जनजातीय समुदायों पर विशेष शोध
प्रदेश की विभिन्न जनजातियों की कला, परंपराएं और जीवनशैली को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए आईआईटी भिलाई शोध करेगा। इसका उद्देश्य न केवल जनजातीय समुदायों की पहचान को सहेजना, बल्कि उनके अस्तित्व और आजीविका के नए अवसरों को सामने लाना भी होगा।
रोजगार और स्वरोजगार को मिलेगा बढ़ावा
पर्यटन विकास और सांस्कृतिक शोध की इस पहल से स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार और स्वरोजगार के नए रास्ते खुलेंगे। साथ ही छत्तीसगढ़ की विरासत को वैश्विक मंच पर भी स्थान मिलेगा।
साझेदारी को लेकर क्या बोले अधिकारी
आईआईटी भिलाई के डायरेक्टर प्रो. राजीव प्रकाश ने कहा, “विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में यह साझेदारी महत्वपूर्ण कदम है। संस्कृति और प्रौद्योगिकी के बीच तालमेल से राज्य को नई दिशा मिलेगी।”
पर्यटन बोर्ड के प्रबंध निदेशक विवेक आचार्य ने कहा, “आईआईटी भिलाई को सहयोगी बनाना छत्तीसगढ़ सरकार के लिए गर्व की बात है। यह समझौता प्रदेश के पर्यटन और सांस्कृतिक विकास को मजबूती देगा।”
