बालोद। देशभर में होली का उल्लास छाया हुआ है, लेकिन छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में इस बार होली का एक अलग ही नजारा देखने को मिला। पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए पर्यावरण प्रेमी भोज साहू और वीरेंद्र सिंह ने पेड़ों के साथ होली मनाने की नई पहल की। उन्होंने वृक्षों को रंग-गुलाल लगाकर उनका सम्मान किया और लोगों से प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की अपील की।
पेड़ों के साथ होली खेलकर दिया पर्यावरण बचाने का संदेश
पहली तस्वीर में पर्यावरण प्रेमी भोज साहू और उनके छह वर्षीय पुत्र वृक्षांश साहू ने नीम के पेड़ों को हल्दी, चंदन, कुमकुम और फूलों के रंगों से सजाया। उनके साथ कई अन्य लोगों ने भी पेड़-पौधों के साथ होली खेलकर प्रकृति के प्रति आभार जताया।

दूसरी तस्वीर दल्लीराजहरा से आई है, जहां ग्रीन कमांडो के नाम से मशहूर वीरेंद्र सिंह ने स्कूलों में जाकर बच्चों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने पेड़ों पर तिलक लगाकर होली मनाई और पेड़ न काटने की अपील की।
होली मनाने का नया तरीका, पर्यावरण को बचाने का संदेश
पर्यावरण प्रेमी भोज साहू ने इस अनोखी पहल के पीछे का कारण बताते हुए कहा कि होली के नाम पर हरे-भरे पेड़ों को काटकर होलिका दहन किया जाता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। उन्होंने कैमिकल युक्त रंगों से बचने और फूलों से होली खेलने की अपील की।
प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की अपील
उन्होंने कहा कि होलिका दहन के लिए सूखी लकड़ियों और कंडों का उपयोग करना चाहिए, न कि हरे-भरे पेड़ों को काटकर। साथ ही, उन्होंने पलाश, गुलाब और गेंदा जैसे प्राकृतिक फूलों से होली खेलने का आग्रह किया ताकि पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके।
इस पहल ने संपूर्ण देश के लिए एक मिसाल पेश की है और यह संदेश दिया है कि होली के रंग केवल खुशियों तक सीमित नहीं, बल्कि यह प्रकृति के प्रति प्रेम और सम्मान का भी प्रतीक हो सकता है।
