उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार (22 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि बहरीच के कुछ निवासियों के खिलाफ जारी विध्वंस नोटिसों पर कल तक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इन निवासियों पर हाल ही में हुए सांप्रदायिक दंगों में शामिल होने का आरोप है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और के.वी. विश्वनाथन की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख वरिष्ठ अधिवक्ता चंदर उदय सिंह ने किया, जिसमें दंगों से संबंधित एफआईआर में नामित व्यक्तियों के घरों को अवैध निर्माण का हवाला देकर तोड़े जाने के खिलाफ सुरक्षा की मांग की गई थी।
उल्लेखनीय है कि 17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की इसी पीठ ने एक अंतरिम आदेश में कहा था कि किसी भी निर्माण को बिना पूर्व अनुमति के ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि वह सार्वजनिक स्थान पर अतिक्रमण न हो। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने “बुलडोजर कार्रवाई” के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है, जिसमें अपराधियों के घरों को दंडात्मक कार्रवाई के रूप में तोड़ा जाता है।
आज की सुनवाई के दौरान, अदालत ने राज्य सरकार को चेतावनी दी कि आदेश का उल्लंघन उनकी जिम्मेदारी होगी।
इससे पहले, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसी मामले में दंगों के आरोपियों को विध्वंस नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट कल इस मामले की सुनवाई करेगा।