उत्तर प्रदेश में पांच चरण के मतदान के बाद अब राजनैतिक ताकतों का पूरा फोकस पूर्वांचल की 27 लोकसभा सीटों पर आकर टिक गया हैं। पूर्वांचल में पूरे प्रदेश से अलग सियासी बयार बहती है। यह क्षेत्र राजनैतिक रूप से काफी सशक्त भीर है। यहां के लोगों की रग-रग में सियासत देखने को मिल जाती है। तमाम बड़े और दिग्गज नेताओं को भी पूर्वांचल की धरती काफी रास आती है। यहां से निकले नेताओं ने देश-विदेश में खूब नाम कमाया है। पूर्व प्रधानमंत्रियों में पंडित जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, चन्द्रशेखर यही की धरती से निकलकर सियासत की बुलंदी पर पहुंचे थे। पूर्वांचल से सर्वाधिक बार निर्वाचित होने वाले सांसदों की सूची पर नजर डालें तो बलिया की धरती के रहने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर 1977 से 1991 तक के बीच में बलिया से रिकॉर्ड 8 बार सांसद निर्वाचित हुए हैं। इसके अलावा बलिया के चंद्रशेखर ने सीधे सांसद से प्रधानमंत्री बनने तक का सफर तय किया है। इन 27 सीटों में एक सीट वाराणसी की भी है, जहां से मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं। यह उनका तीसरा लोकसभा चुनाव है। मोदी की जीत में कहीं कोई संदेह नहीं है, यहां तक की सपा प्रमुख अखिलेश यादव तक ने यहां से मोदी की जीत की भविष्यवाणी कर दी है। हॉ, यह और बात है कि वह यहां से तीसरी बार चुनाव जीत कर प्रधानमंत्री के रूप में भी हैट्रिक लगा पायेंगे। इस बार यदि मोदी फिर से पीएम बनते हैं तो वह देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के लगातार तीन कार्यकाल में प्रधानमंत्री बनने के रिकार्ड की बराबरी कर लेंगे। इसको लेकर बीजेपी तो पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरी हुई है, लेकिन विपक्ष को यही लगता है कि अबकी से मोदी बुरी तरह से हार रहे हैं।
खैर, मुद्दे पर आया जाये तो पूर्वांचल ने देश को देश की पहली मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी जैसी नेत्री दी तो संपूर्णानंद, कमलापति त्रिपाठी, वीर बहादुर सिंह और राम नरेश यादव जैसे मुख्यमंत्री यूपी को दिए। इतना ही नहीं सीपीएन सिंह, महावीर प्रसाद, कल्पनाथ राय, सुखदेव प्रसाद, केडी मालवीय, आरपीएन सिंह और कलराज मिश्र जैसे नेता पूर्वांचल से निकल कर केंद्रीय सरकारों में महत्वपूर्ण पदों पर हैं और रहे। सोशलिस्ट पार्टी के नेता बाबू गेंदा लाल से लेकर कम्युनिस्ट नेता सिवन लाल सक्सेना जैसे नेताओं ने पूर्वांचल से राजनीति की। हरिशंकर तिवारी, मार्कंडेय चंद्र, बलराम यादव, जगदम्बिका पाल, राम गोविंद चौधरी, अम्बिका चौधरी जैसे पूर्वांचल के कद्दावर नेता राज्य सरकारों में मंत्री रहे। वर्तमान में सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ही सात कैबिनेट सहित कई मंत्री पूर्वांचल से हैं। इसके लिए इंडिया और एनडीए ने ताकत झोंक दी है। खास बात यह है कि इसी क्षेत्र में एनडीए गठबंधन में शामिल सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल की प्रतिष्ठा दांव पर हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में भी चुनाव है। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन में शामिल तृणमूल कांग्रेस को एक और कांग्रेस को पांच सीटें मिली हैं। इन सीटों को पर कांग्रेस और सपा ने फ्रंटल संगठनों के पदाधिकारियों को उतार दिया है। पूर्वांचल की 27 लोकसभा सीटों पर एक-एक वोट का हिसाब रखा जा रहा है।
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यूपी के पश्चिमी, मध्य और बुंदेलखंड के इलाकों में चुनाव होने के बाद सभी दलों के आलाकमान ने यहां के ज्यादातर नेताओं को इन्हीं 27 सीटों पर उतार दिया गया है। भाजपा ने वाराणसी में महिला सम्मेलन के जरिए नया प्रयोग किया है तो आसपास की सीटों पर प्रचार का नया मॉडल अपनाया है। पार्टी की ओर से पूर्वांचल की सीटों पर जल जीवन मिशन, मकान और शौचालय हित अन्य योजनाओं का लाभ पाने वाले लाभार्थियों की ब्लॉकवार सूची निकाली गई है। इस सूची के जरिए मतदाताओं तक पहुंच कर उन्हें समझाने का प्रयास किया जा रहा है। हर विधानसभा को तीन से चार हिस्से में बांट कर वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में बैठकें की जा रही है। इतना ही नहीं पार्टी ने नई रणनीति के तहत समूह बैठक तय की है। इसमें डॉक्टर, इंजीनियर, कपड़ा कारोबारी, दवा व्यापारी की बैठकें तय की गई हैं। उदाहरण के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत नेताओं को इसी क्षेत्र के लोगों से मिलने का लक्ष्य दिया है। इसके लिए बाकायदे विधानसभा क्षेत्रवार सूची सौंपी गई है। खास बात यह है कि पिछड़े वर्ग पर ज्यादा फोकस किया गया है। यही वजह है कि पिछड़े वर्ग की जहां जिस जाति की आबादी है, उस क्षेत्र में उसी बिरादरी के नेताओं को भेजा गया है। भाजपा पिछड़ा वर्ग काशी क्षेत्र के महामंत्री सुभाष कुशवाहा ने बताया कि वाराणसी और आसपास की सीटों पर इटावा, एटा, फर्रूखाबाद, मैनपुरी सहित सैफई के आसपास के यादव नेताओं को उतार दिया गया है। इसी तरह निषाद बहुल इलाके में इसी बिरादरी के नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
उधर, पूर्वांचल की 27 सीटों पर इंडिया गठबंधन तू चल मैं आता हूं की तर्ज पर कार्य कर रही है। सपा और कांग्रेस इस इलाके को सियासी तौर पर उपजाऊ मानती है। यही वजह है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की जिन सीटों पर जनसभा हो रही है, उन पर निगाह रखी जा रही है। इसके लिए कांग्रेस ने अलग से टीम लगाई है। यह टीम नेताओं के कार्यक्रम और उनके द्वारा जनसभा में उठाए गए सवाल का जवाब तैयार कर अपने नेताओं को भेज रही है। इतना ही नहीं अगले दो से तीन दिन में संबंधित इलाके में न सिर्फ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सभा लगाई जा रही है बल्कि उन सीटों पर मतदाताओं को लुभाने के लिए नई रणनीति अपनाई जा रही है। कांग्रेस और सपा ने पूर्वांचल की 27 सीटों के लिए रायबरेली-अमेठी मॉडल को भी लागू किया है। विधानसभा क्षेत्र को सेक्टर में बांट कर बूथों पर जिस बिरादरी का वोटबैंक हैं, उसी बिरादरी के नेता को लगाया गया है। इन दोनों पार्टियों ने यादव, मुसलमान के अलावा अन्य जातियों के नेताओं को जिम्मेदारी देने पर जोर दिया है। ब्राह्मण बहुल इलाके की जिम्मेदारी खुद कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय ने संभाली है। वह दिन में सपा-कांग्रेस के नेताओं के बीच समन्वय बैठकें कर रहे हैं तो रात में ब्राह्मण बहुल इलाके में रात्रि चौपाल लगा रहे हैं। इसी तरह सपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डा. राजपाल कश्यप निषाद, कश्यप, बिंद बिरादरी के बीच रात्रिकाली बैठकें करने में जुटे हैं। डा. कश्यप का दावा है कि सपा की ओर से निषाद बिरादरी के पांच प्रत्याशी उतारने का फायदा मिल रहा है।
छठवें चरण की 14 सीटें और सातवें चरण की 13 सीटें पर कई दिग्गज मैदान में हैं। इसमें सुल्तानपुर से मेनका गांधी, आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव, भदोही से तृणमूल कांग्रेस के ललितेशपति त्रिपाठी, इलाहाबाद से उज्जवल रमण सिंह, जौनपुर से महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री कृपाशंकर सिंह जैसे नामचीन चेहरे हैं। वाराणसी से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, मिर्जापुर से अपना दल की अनुप्रिया पटेल, घोसी से सुभासपा के अरविंद राजभर मैदान में हैं। इसी क्षेत्र में निषाद पार्टी का भी वजूद है। ऐसे में इन सभी दलों के मुखिया से लेकर बूथ सदस्य तक गांव- गांव वोट मांग रहे हैं।