दुर्ग (छत्तीसगढ़)। अनुसूचित जाति की युवती का पैसे का लालच देकर तीन साल तक दैहिक शोषण करने और बाद में हत्या कर देने के आरोपी वृद्ध अभियुक्त के खिलाफ एससी एसटी एक्ट स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया है । कोर्ट ने अभियुक्त को इस अपराध के लिए अंतिम सांस तक जेल में कैद रखे जाने सजा दी है। दिलचस्प यह है कि हत्या के बाद युवती के शव को छुपाने में अभियुक्त के बेटे ने सहयोग दिया था और आरोपियों ने युवती की चांदी की पायल व मोबाइल को अपने कब्जे में रख लिया। इन अपराधों के तहत भी पिता पुत्र को कारावास की सजा से दंडित किया गया है। आरोपियों पर कुल 7 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया। यह फैसला शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश (एसी एसटी एक्ट) शैलेष कुमार तिवारी की अदालत में सुनाया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक राजकुमार देवांगन ने पैरवी की थी।
मामला उतई थाना क्षेत्र का है। पाटन पुलिस ने 28 जून 2020 को क्षेत्र के खोपरा नाला से बोरी में बंधा युवती का एक लावारिस शव बरामद किया था। युवती की शिनाख्त उतई निवासी कंचन बाई बंजारे (35 वर्ष) के रूप में हुई थी। प्रकरण को उतई पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया था। उतई पुलिस ने पडताल में पाया की उतई के ही बजरंग पारा निवासी ओभान साहू (63 वर्ष) का युवती के यहां आना जाना था और वह पैसे का लालच देकर युवती का दैहिक शोषण भी करता था। दैहिक शोषण का सिलसिला वर्ष 2017 से 26 जून 2020 तक चलता रहा। 26 जून 2020 की रात को संबंध बनाने से इंकार करने पर ओभान ने युवती के साथ जबरदस्ती संबंध बनाए और उसकी हत्या कर दी।
हत्या के बाद दूसरे दिन 27 जून शव को बोरे में भरकर कार के जरिए शव को पाटन क्षेत्र के खोपरा नाला में फेक दिया था। आरोपी द्वारा शव को ठिकाने लगाने में अपने पुत्र उमेश साहू (31 वर्ष) की मदद ली थी। रास्ते में पिता-पुत्र ने कंचन बाई की पैरों में पहनी चांदी की पायल निकाल ली और मोबाइल का सिम निकाल फेक दिया। दोनों ने मोबाइल को भी अपने पास रख लिया था।
इस मामले में पुलिस ने दोनों अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था और विभिन्न धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था। प्रकरण को विचारण के लिए अदालत के समक्ष पेश किया गया था। प्रकरण विचारण पश्चात विशेष न्यायाधीश (एसी एसटी एक्ट) ने अभियुक्त पिता-पुत्र को दोषी करार दिया।
मामले के अभियुक्त पिता ओभान साहू (63 वर्ष) को दफा 302 के तहत जिंदगी की अंतिम सांस तक के कारावास, दफा 376 (2) (ढ) के तहत आजीवन कारावास, 342 के तहत एक वर्ष कारावास, 404 के तहत 3 वर्ष कारावास तथा दफा 201 5 वर्ष के कारावास से दंडित किया गया है। वहीं पुत्र उमेश साहू (31 वर्ष) को दफा 404 के तहत 3 वर्ष व दफा 201 के तहत 5 वर्ष के कारावास से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया गया। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
