रायपुर, (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज भेंट-मुलाकात के दौरान रायपुर के हीरापुर जरवाय में सी एंड डी प्लांट का लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों में निर्माण गतिविधियों में वृद्धि होने से तोड़फोड़ एवं अन्य प्रक्रियाओं से निकलने वाले निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट जिसे आम बोलचाल की भाषा में मलबा कहते हैं, इनके उचित प्रबंधन के लिए सीएंडडी प्लांट का निर्माण किया गया है। इससे पहले मुख्यमंत्री वीर सावरकर वार्ड क्रमांक 01, अटारी स्थित दुर्गा मंदिर पहुंचे। उन्होंने दुर्गा माँ की पूजा अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली की कामना की। यहां अटारी के लोगों द्वारा आमंत्रित माकड़ी से आये 45 लोगों के नर्तक दल ने मांदरी नृत्य से मुख्यमंत्री का आत्मीय स्वागत किया।
संयंत्र में मलबों की प्रोसेसिंग कर पेवर ब्लॉक, टाइल्स, ड्रेन कवर इत्यादि का निर्माण किया जाएगा। सी एंड डी प्लांट के जरिए मलबों के उचित समायोजन से वायु की गुणवत्ता, नालों के प्रवाह में अवरोध तथा तालाबों के जल संचयन की क्षमता में कमी आने जैसी समस्याओं में कमी आएगी। राजधानी में तेजी से निर्माण कार्यों का मलबा बाहर आ रहा है और अब तक इसके डिस्पोजल की समस्या गंभीर थी। इसका प्रभावी समाधान हीरापुर-जरवाय में सी एंड डी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के रूप में किया गया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज रायपुर पश्चिम विधानसभा में भेंट मुलाकात के दौरान इसका अवलोकन किया। उन्होंने प्लांट के प्रबंधकों और यहां काम कर रही समूह की महिलाओं से भी चर्चा की।

मुख्यमंत्री ने चर्चा में कहा कि वेस्ट रिसाइकिल मैनेजमेंट आज के दौर की सबसे बड़ी जरूरत है। हमारे शहर तेजी से फैल रहे हैं। इस प्लांट के माध्यम से आपने चुनौती को अवसर के रूप में बदल लिया है। यहां कार्यरत महिलाओं ने मुख्यमंत्री को बताया कि यहां पर मलबे के माध्यम से पेवर ब्लाक, नालियों के ढक्कन, चेकर टाइल्स, सीमेंटेड कुर्सियां आदि बनाई जा रही है। यहां काम पर आने वाली अटारी गांव की महिला आरती डेहरे ने बताया कि यहां पर हर दिन 2500 पेवर ब्लाक बना लेते हैं। हर दिन वे 200 रुपए कमा लेती हैं। आरती ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि आपने यह बहुत अच्छा प्लांट शुरू किया है।
प्लांट में काम करने वाली वीर महिला स्व सहायता समूह की मंजू बारले ने बताया कि मैं पास के अटारी गांव में रहती हूँ पहले घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी हमारे पास कोई काम नहीं था, घर में खाली बैठे रहते थे, अब सी एंड डी प्लांट में काम मिलने से प्रतिमाह 6 हजार रुपये की आमदनी होती है। इसी प्रकार सी एन्ड डी प्लांट में कार्यरत जय मां अंबे स्व सहायता समूह की महिला भारती निषाद ने बताया कि पास के अटारी गांव में रहती हूं पहले कम आमदनी होने से दो बच्चों को पालना कठिन था लेकिन अब यहां पर काम मिलने से घर अच्छा चल रहा है और पैसे की भी बचत हो रही है।
सी एन्ड डी प्लांट में कार्यरत छत्तीसगढ़ स्व सहायता समूह के महिला रिंकी निषाद ने बताया कि यहां पर काम करने से हमारी आर्थिक स्थिति काफी अच्छी हुई है। रिंकी निषाद ने कहा कि यहां से निर्मित उत्पादों की बिक्री बढ़नी चाहिए ताकि उत्पादन को प्रोत्साहन मिले और हमारी जैसी और महिलाओं को भी ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके।
2 एकड़ में फैला है प्लांट, 2.76 करोड़ की लागत से बना है
निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र जरवाय में लगभग 2 एकड़ में बना है। पंद्रहवें वित्त आयोग की राशि से बने इस प्लांट की प्रोससिंग क्षमता 65 टन प्रति शिफ्ट है। यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा संयंत्र है। इससे निगम को 7 लाख 20 हजार रुपए वार्षिक आय होगी।
आमजन भी दे सकते हैं अपना मलबा, टोल फ्री नंबर पर कर सकते हैं फोन
मलबा डिस्पोजल की सुविधा का लाभ आम नागरिकों द्वारा आसानी से उठाया जा सकता है। इसके परिवहन के लिए टोल फ्री नंबर 1100 और काल सेंटर नंबर 8815898845 पर संपर्क कर सकते हैं।
