नई दिल्ली । शिवसेना (ठाकरे) बनाम शिवसेना (शिंदे) मामले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से उद्धव ठाकरे का शक्ति परीक्षण से पहले इस्तीफा देना सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण बिन्दु बन सकता है। महाराष्ट्र के राजनैतिक संकट की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ कर रही है। उद्धव ठाकरे ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण से एक दिन पूर्व 29 जून 2022 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ ने इस मुद्दे को सुनवाई के दौरान कई बार उठाया है। ठाकरे गुट के वकीलों की दलील है कि नई सरकार इसलिए चुनी गई, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने दो आदेश दिए थे। वकीलों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अब यथास्थिति बहाल करनी चाहिए। इस पर बेंच ने पूछा कि तब क्या होता, यदि शक्ति परीक्षण सदन में हो गया होता।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई शक्तिपरीक्षण व विश्वास मत हासिल करने के राज्यपाल के आदेश को स्टे करने से मना कर दिया था, लेकिन, साथ में यह कहा था कि यह विश्वास मत सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं के परिणाम पर निर्भर करेगा। हालांकि, उद्धव ठाकरे ने इससे पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस मुद्दे पर जस्टिस एमआर शाह ने वकीलों से पूछा 29 जुलाई का आदेश बहुत स्पष्ट था कि 30 जुलाई को होने वाला फ्लोर टेस्ट याचिकाओं के फैसले पर निर्भर करेगा। इस स्थिति में (जब उद्धव ठाकरे शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे चुके थे तो) अब यथा स्थिति बहाल करने का क्या मतलब है। आप इसे होने तो देते, लेकिन आपने पहले ही इस्तीफा देने का विकल्प चुना।