नाबलिग का दैहिक शोषण कर उसे गर्भवती करने के मामले में अदालत द्वारा आरोपी को आजीवन कारावास से दंडि़त किया गया है। दिलचस्प यह है कि मामले का खुलासा होने पर आरोपी ने पीडि़ता के परिजनों को पुलिस में शिकायत दर्ज न कराने की नसीहत देकर आत्महत्या कर उन्हें फंसाने की धमकी दी थी। प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से अति. लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने पैरवी की थी।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला छावनी थाना क्षेत्र का है। क्षेत्र के निवासी विजयलाल उर्फ भुवन (30 वर्ष) ने एक 13 वर्ष की किशोरी को अपने प्रेमजाल में फंसा लिया था। इस दौरान विजय ने किशोरी के साथ शारीरिक संबंध भी बनाना प्रारंभ कर दिया था। जिससे वह गर्भवती हो गई थी। गर्भवती होने पर मामले का खुलासा हुआ। पूछताछ में किशोरी ने परिजनों को बताया कि पिछलें 6 माह से विजय उसका दैहिक शोषण कर रहा था, इस संबंध में विजय से पूछताछ करने पर उसने पीडि़ता से संबंध होना स्वीकारते हुए परिजनों को मामले की पुलिस में शिकायत करने पर स्वयं आत्महत्या कर उन्हें फंसाने की धमकी दे डाली। इसके बावजूद परिजनों ने 16 जुलाई 2015 को छावनी थाना में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर व किशोरी के चिकित्सकीय परीक्षण के पश्चात आरोपी के खिलाफ पाक्सों एक्ट के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया। आरोपी की 17 जुलाई 2015 को गिरफ्तारी कर जेल भेज दिया गया। इस प्रकरण को विचारण के लिए न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।
प्रकरण पर विचारण विशेष न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी की अदालत में किया गया। विचारण पश्चात न्यायाधीश ने आरोपी विजयलाल उर्फ भुवन को नाबालिग का दैहिक शोषण कर उसे गर्भवती करने का दोषी पाया। आरोपी दफा 376(2)(आई) के तहत आजीवन कारावास तथा 10 हजार रु. के अर्थदंड से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है।